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पेपर स्ट्रॉ की चुनौती से बढ़ी चिंता

Last Updated- December 11, 2022 | 7:11 PM IST

दूध, लस्सी, जूस, कॉफी एवं अन्य पेय के हर छोटे टेट्रा पैक के साथ बेचे जाने वाले छह अरब से अधिक प्लास्टिक स्ट्रॉ के बजाय अब पर्यावरण के अनुकूल कागज के स्ट्रॉ के उपयोग की तैयारी चल रही है। पर्यावरण की सुरक्षा के लिहाज से प्लास्टिक स्ट्रॉ को चरणबद्ध तरीके से हटाने की योजना है।
छोटे टेट्रा पैक का उपयोग करने वाली एफएमसीजी कंपनियों के संगठन ऐक्शन अलायंस फॉर रीसाइक्लिंग बेवरिजेस कार्टन द्वारा पिछले सप्ताह दी गई प्रस्तुति का यही संदेश था। संगठन ने पर्यावरण मंत्रालय से कहा कि कंपनियों को इस बदलाव के लिए मंत्रालय द्वारा निर्धारित 1 जुलाई की अंतिम समय-सीमा से 18 महीने की जरूरत होगी। प्लास्टिक के स्ट्रॉ, प्लेट, चम्मच आदि के उपयोग पर मंत्रालय द्वारा लगाया गया प्रतिबंध 1 जुलाई से प्रभावी होने जा रहा है।
एसोसिएशन ने कहा कि वह इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए त्रिआयामी दृष्टिकोण को अपनाएगा। इसके तहत स्ट्रॉ का आयात किया जाएगा, विनिर्माण मशीनों का आयात किया जाएगा ताकि यहां स्ट्रॉ का उत्पादन किया जा सके और स्ट्रॉ के लिए कम्पोस्टेबल प्लास्टिक का उपयोग किया जाएगा जिसका कोई हानिकारक प्रभाव नहीं होता।
हालांकि इसकी सबसे बड़ी चुनौती यह है कि जुलाई से कागज के स्ट्रॉ के आयात की गुंजाइश सीमित है क्योंकि गुणवत्तायुक्त कागज के स्ट्रॉ का अयात मुख्य तौर पर यूरोप और इंडोनेशिया से होता है जहां क्षमता काफी कम है। भारत में स्ट्रॉ बनाने के लिए मशीनरी का आयात करने में भी काफी समय लगेगा क्योंकि मशीनों के लिए प्रतीक्षा अवधि काफी लंबी है। जहां तक कंपोस्टेबल प्लास्टिक का सवाल है तो उसे सरकार से मंजूरी मिलने से पहले विभिन्न प्रयोगशालाओं में जांच की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है।
हालांकि देश की अग्रणी डेयरी कंपनी अमूल का मानना है कि प्लास्टिक स्ट्रॉ की जगह कागज के स्ट्रॉ का उपयोग करने के लिए भारत में उसका उत्पादन एक साल से भी कम समय में किया जा सकता है।
अमूल यानी जीसीएमएमएफ के प्रबंध निदेशक आरएस सोढी ने कहा, ‘हम लस्सी और फ्लेवर्ड मिल्क के टेट्रा पैक के लिए प्लास्टिक स्ट्रॉ का मामूली उपयोग करते हैं। हालांकि हमें उम्मीद है कि प्लास्टिक के स्ट्रॉ को हटाने के लिए कागज के स्ट्रॉ का उत्पादन एक साल से भी कम समय में किया जा सकता है। प्लास्टिक स्ट्रॉ के मुकाबले वे कुछ महंगे होंगे।’ कागज के स्ट्रॉ को अपनाने में एफएमसीजी कंपनियों की दिलचस्पी के बारे में प्रस्तुति में बताया गया है कि प्लास्टिक स्ट्रॉ को कोई स्पष्ट विकल्प उपलब्ध नहीं है और सरकार की योजना पर काम नहीं किया जा सकता है।
ताजा प्रतिक्रिया प्लास्टिक के स्ट्रॉ के उपयोग को खत्म करने की व्यावहारिक चुनौतियों के मद्देनजर छूट के आग्रह को सरकार द्वारा ठुकराए जाने के बाद सामने आई है। उद्योग के अलावा ग्राहकों ने भी शिकायत की है कि कागज के स्ट्रॉ को टेट्रा पैक में डालना कठिन है। उद्योग ने बताया है कि यदि कागज के स्ट्रॉ को ठंडी सतह पर रखी जाएगी तो समस्या हो सकती है।
कीमत भी एक मुद्दा है। एफएमसीजी कंपनियों का कहना है कि कागज के स्ट्रॉ की लागत कहीं अधिक है। सरकार के इस फैसले प्रभावित होने वाली कंपनियों में पेप्सिको, डाबर, अमूल, परले आदि शामिल हैं। ये कंपनियां सालाना 6 अरब टेट्रा पैक के लिए प्लास्टिक के स्ट्रॉ का उपयोग करती हैं और उससे 6,000 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व अर्जित करती हैं।

 

First Published - May 7, 2022 | 12:04 AM IST

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