केंद्र सरकार 20, 23 और 24 कैरट के सोने के आभूषणों एवं वस्तुओं के लिए पूरे देश में हॉलमार्किंग दो चरणों में अनिवार्य बनाएगी। वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने आज यह जानकारी दी।
सरकार ने साफ किया है कि लोगों के गैर-हॉलमार्क सोने के गहने बेचने पर कोई पाबंदी नहीं है। लेकिन जिन जिलों में आज से हॉलमार्किंग अनिवार्य बना दी गई है, उनके सराफों को लोगों से खरीदे गए गहने उचित मार्किंग के बिना बेचने की मंजूरी नहीं होगी। हालांकि इन सराफों के ऐसा करने पर उन पर अगस्त तक कोई जुर्माना नहीं लगाया जाएगा।
केंद्र ने कहा कि पहले चरण में उन जिलों के लिए हॉलमार्किंग अनिवार्य बनाई गई है, जहां जांच-परख और हॉलमार्किंग केंद्र ठीक से चल रहे हैं। दूसरे चरण में उन जिलों को शामिल करने के बारे में विचार किया जाएगा, जिनमें 100 किलोमीटर के दायरे में जांच-परख केंद्र है। जिन जिलों में एक भी जांच-परख केंद्र नहीं है, उन्हें तीसरे चरण में शामिल किया जाएगा।
इस अवधि में मान्यता प्राप्त जांच-परख एवं हॉलमार्क केंद्रों का नेटवर्क बढ़ाने के प्रयास किए जाएंगे। इस समय देश में करीब 940 जांच-परख एवं हॉलमार्क केंद्र चल रहे हैं। इनमें से 84 केंद्र विभिन्न जिलों में सरकार की सब्सिडी योजना के तहत स्थापित किए गए हैं।
केंद्र ने देश में सोने के आभूषणों एवं वस्तुओं की हॉलमार्किंग चरणबद्ध तरीके से अनिवार्य बनाने का मंगलवार रात फैसला लिया था। इसे पहले चरण में 256 जिलों में लागू किया जाएगा। सोने के 14, 18 और 22 कैरट आभूषणों एवं वस्तुओं के लिए हॉलमार्किंग अनिवार्य है।
हालांकि जिन सराफों का सालाना कारोबार 40 लाख रुपये से कम है, उन्हें अनिवार्य हॉलमार्किंग से छूट है। मौजूदा दरों पर इसका मतलब है कि साल में करीब डेढ़ किलोग्राम सोना बेचने वाले सराफों को छूट दी गई है। सरकार ने साफ किया कि इस फैसले का मतलब यह सुिनश्चित करना है कि छोटे सराफों को अनुपालन के बोझ तले नहीं दबाया जाए।
भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के महानिदेशक प्रमोद कुमार तिवारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘अनिवार्य हॉलमार्किंग को चरणबद्ध तरीके से लागू करने का फैसला यह सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है कि इस व्यवस्था को उन जिलों या क्षेत्रों में लागू किया जाए, जहां सरकारी मान्यता प्राप्त जांच-परख एवं हॉलमार्किंग केंद्र ठीक से चालू हैं ताकि सराफों एवं बाजार पर अनावश्यक दबाव पैदा नहीं हो।
तिवारी ने कहा कि बदलाव के दौर में कम से कम दिक्कत हो, यह सुनिश्चित करने के लिएि अगस्त तक कोई जुर्माना नहीं लगाया गया है ताकि चिह्नित जिलों में ज्यादातर कारोबारी स्वैच्छिक रूप से नए प्रणाली को अपना लें। उन्होंने कहा कि सराफ शुद्धता सुनिश्चित करने के दौरान हॉलमार्क गहनों के वजन में दो ग्राम तक बदलाव कर सकेंगे। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि पूरी पंजीकरण प्रक्रिया से गुजरे बिना मामूली बदलाव किए जा सकें।
तिवारी ने कहा कि अनिवार्य हॉलमार्किंग का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए पूरी पंजीकरण फीस हटा दी गई हैं और इसे मुफ्त कर दिया गया है। अब तक सराफों को स्लैब आधारित पंजीकरण फीस चुकानी होती थी।
सरकार ने नवंबर, 2019 में घोषणा की थी कि सोने के आभूषणों और वस्तुओं की हॉलमार्किंग पूरे देश में 15 जनवरी, 2021 से अनिवार्य बनाई जाएगी। लेकिन इस अंतिम तिथि को 1 जून तक चार महीने बढ़ाया गया। फिर सराफों ने महामारी के मद्देनजर और समय मांगा, इसलिए इसे लागू करने की तारीख बढ़ाकर 15 जून की गई।