सरकार ने वित्त वर्ष 2025 के पहले 8 महीनों के दौरान कीमती धातुओं जैसे सोने और चांदी के आयात के आंकड़े घटा दिए हैं। वाणिज्यिक आसूचना और सांख्यिकी महानिदेशालय (डीजीसीआईऐंडएस) के आंकड़ों से यह पता चलता है।
अप्रैल से नवंबर के बीच मूल्य के आधार पर सोने का आयात के आंकड़ों में भारी कमी आई है और यह 11.69 अरब डॉलर घटकर 37.39 अरब डॉलर रह गया है। दिसंबर में जारी आंकड़ों के मुताबिक सोने का कुल आयात 49 अरब डॉलर था। नवंबर के आंकड़ों में सबसे ज्यादा बदलाव किया गया, जब सोने का आयात 5 अरब डॉलर घटकर 9.8 अरब डॉलर रह गया।
चांदी की स्थिति देखें तो बदलाव छोटा है। आयात के आंकड़े नवंबर में 0.66 अरब डॉलर से घटकर 0.48 अरब डॉलर रह गए हैं। डीसीजीआई ऐंड एस के आंकड़ों से पता चलता है कि कुल मिलाकर चांदी का आयात 0.95 अरब डॉलर घटकर 2.33 अरब डॉलर रह गया है। वाणिज्य विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण में आने वाला डीजीसीआईऐंडएस भारत के व्यापारिक आंकड़ों को एकत्र करता है और उसकी जानकारी देता है। डीजीसीआईऐंडएस द्वारा संकलित आंकड़ों को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) जैसी वैश्विक एजेंसियों के साथ भी साझा किया जाता है।
सोने के आयात आंकड़ों की सुव्यवस्थित रिपोर्टिंग के लिए एसईजेड डेटा को एनएसडीएल सॉफ्टवेयर से आइसगेट तंत्र में स्थानांतरित करने की सरकार की पहल के कारण पीली धातु के आयात की दोहरी गणना हुई, जिससे आंकड़े बढ़े हुए आए थे। सरकारी सूत्रों ने बताया कि अब इस समस्या को काफी हद तक ठीक कर लिया गया है। संशोधन से व्यापार घाटे (आयात और निर्यात के बीच अंतर) की वास्तविक तस्वीर सामने आई है, जो पहले बहुत अधिक दिख रहा था।
यह दोहरी गणना इसलिए हुई क्योंकि देश में आयात और विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) से घरेलू शुल्क क्षेत्र (डीटीए) को दी जाने वाली मंजूरी की गणना तकनीकी गड़बड़ियों के कारण दो बार हो गई। एनएसडीएल के आइसगेट में स्थानांतरण के कारण हुई दोहरी गणना को अब काफी हद तक ठीक कर लिया गया है, लेकिन स्थानांतरण अब भी जारी है।
उन्होंने कहा, ‘आंकड़ों में सुधार और संशोधन दुनिया भर में सांख्यिकी ढांचे का अभिन्न अंग है। डेटा संकलन एक जटिल प्रक्रिया है क्योंकि इसमें 500 से अधिक स्थानों से डेटा एकत्र करना शामिल है और हर दिन 2.5 लाख से अधिक लेनदेन होते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘डेटा में संशोधन और सुधार होते रहते हैं। यह सांख्यिकी की एक सामान्य गतिविधि है।’
निर्यात और आयात मुख्य रूप से दो जगहों – हवाई अड्डे और बंदरगाह से होते हैं। एसईजेड की संख्या पहले अलग से (एनएसडीएल प्रणाली पर) गिनी जाती थी क्योंकि सीमा शुल्क से संबंधित प्रावधानों के अनुसार इन क्षेत्रों को विदेशी संस्थाओं के रूप में माना जाता है। डेटा को पिछले साल मई में एनएसडीएल से आइसगेट में स्थानांतरित करने का फैसला किया गया था।
भारत की व्यापार डेटा संकलन प्रक्रिया निर्यातकों और आयातकों द्वारा सीमा शुल्क पर इलेक्ट्रॉनिक डेटा इंटरचेंज (ईडीआई) प्रणाली के माध्यम से माल ढुलाई बिल (निर्यात के लिए) और प्रवेश रसीद (आयात के लिए) दाखिल करने से शुरू होती है। सारा डेटा आइसगेट के सर्वर पर आता है।