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किसान विरोधी हैं कपास खरीद के नियम : बादल

Last Updated- December 08, 2022 | 10:48 AM IST

पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा है कि कपास खरीदारी के नियम बदलने से किसानों का उत्पीड़न हो रहा है।


बादल ने कहा कि नए नियम के तहत किसानों को कपास बेचते वक्त राजस्व रिकॉर्ड प्रमाण (जमाबंदी) पेश करना पड़ रहा है, जो कि अव्यावहारिक है।

बादल के मुताबिक, ”नियमों में परिवर्तन होने से पंजाब के किसानों का उत्पीड़न बढ़ा है। राज्य के ज्यादातर किसान अनुबंध आधार पर कपास की खेती करते हैं। लेकिन किसानों के पास इन अनुबंधों का कोई प्रमाण नहीं होता।”

उनके मुताबिक, शिरोमणी अकाली दल के मुखिया सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व में पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को केंद्रीय कपड़ा मंत्री शंकर सिंह वाघेला से मुलाकात की और अपना विरोध जताया। उन्होंने कहा कि नए नियम का विरोध करने के लिए प्रधानमंत्री से संपर्क करने की कोशिश की जा रही है।

हालांकि वे उपलब्ध नहीं है लिहाजा उनके निजी सचिव तक पंजाब सरकार की आपत्ति पहुंचा दी गई है। बादल ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से अपील की है कि नियमों में फेरबदल हो।

विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक, कपड़ा मंत्रालय को शिकायत मिली थी कि सीसीआई की ओर से 2,800 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कपास खरीदने से धांधली को बढ़ावा मिला है। कुछ शहरों में छोटे दुकानदार किसानों से नकद भुगतान कर या या बकाया चुका कर कपास खरीद लेते थे।

फिर खरीदे गए कपास सीसीआई को बेचकर कपास की कीमतें बढ़ा रहे थे। इसके बाद केंद्र सरकार ने सभी कपास उत्पादक राज्यों को फैक्स किया, जिसमें इस तरह की अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए सुझाव मांगे गए।

इसके बाद नियमों में परिवर्तन किए गए और किसानों से कहा गया कि वे कपास बेचते वक्त राजस्व रिकॉर्ड दिखाएं।

पंजाब को छोड़ सभी राज्यों ने केंद्र के आदेश को मानते हुए कपास बेचते समय किसानों से राजस्व रिकॉर्ड लाने को कहा। सभी राज्यों ने आदेश के पालन के लिए किसानों पर दबाव बढ़ाया पर पंजाब में अब तक ये नए नियम लागू नहीं हो सके हैं।

First Published - December 23, 2008 | 10:19 PM IST

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