पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज कहा कि अगर तेल उत्पादक देश आपूर्ति के असंतुलन दूर नहीं करते, जिसकी वजह से कच्चे तेल के दाम में बढ़ोतरी हो रही है तो भारत वैकल्पिक ऊर्जा के विकल्पों पर विचार करेगा।
आईएचएस मार्किट की ओर से आयोजित कार्यक्रम सेरावीक में बोलते हुए प्रधान ने कहा कि ऐसे समय में पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) और उसके सहयोगी देशों की ओर से कृत्रिम रूप से तेल की कमी पैदा की गई है, जब उभरती अर्थव्यवस्थाओं में ऊर्जा की मांग बढ़ रही है।
प्रधान ने कहा, ‘मई 2020 के दौरान बाजार में मांग (ईंधन की) खत्म हो गई थी और भारत जैसे देश उन दिनों उत्पादन में कटौती का समर्थन कर रहे थे। उत्पादकों, खासकर ओपेक ने हमें आश्वासन दिया कि 2021 की शुरुात से मांग बढऩे के साथ साथ उत्पादन सामान्य हो जाएगा।’
उन्होंने आगे कहा, ‘लेकिन मुझे यह कहते हुए दुख हो रहा है कि इस समय तक भी उत्पादन सामान्य होना बाकी है।’ उन्होंने कहा, ‘यह ऐसे समय में हो रहा है, जब दुनिया भर में, खासकर एशिया में स्थिति सामान्य हो रही है। अगर उभरते देशों में मांग है और आप उचित तरीके से आपूर्ति नहीं करते हैं तो मांग और आपूर्ति में कृत्रिम अंतर आता है और इसकी वजह से कीमत बढ़ रही है।’
इस साल की शुरुआत में 51.09 डॉलर प्रति बैरल से बढऩे के बाद गुरुवार को ब्रेंट क्रूड का दाम 63.58 डॉलर प्रति बैरल रहा।
प्रधान ने कहा, ‘हो सकता है कि हमारे कुछ मित्रों के लिए यह अच्छा हो, लेकिन भारत जैसे उभरते देश वित्तीय स्थिति चुनौतीपूर्ण है और हम विकास परियोनजाओं पर ज्यादा खर्च कर रहे हैं। ऐसे वक्त में हमें ईंधन के तार्किक व दायित्वपूर्ण मूल्य की जरूरत है। अगर कोई मुझ पर दबाव डालेगा तो मैं अलग हो जाऊंगा और नई राह, वैकल्पिक ईंधन की तलाश करूंगा।’
उन्होंने कहा कि ऐसे में संतुलित विकास और सभी के लाभ को ध्यान में रखते हुए कीमतें ऐसी होनी चाहिए, जिससे हम अपने कोषागार को प्रभावित किए बगैर खरीदारी कर सकें। उन्होंने कहा, ‘मैं कीमतों में स्तिरता का समर्थक हूं, मैं कीमतें बहुत नीचे गिर जाने का समर्थक नहीं हूं। एक समय में भारत ने उत्पादन में कटौती का समर्थन किया था, लेकिन आज हम उम्मीद करते हैं कि उत्पादक देश, खासकर ओपेक और उसके मित्र देश कामकाज सामान्य करें, जैसा कि उन्होंने वादा किया था। इसके साथ उचित और दायित्वपूर्ण कीमतें होनी चाहिए, जैसा कि आज नहीं हो रहा है।’