स्टील उत्पादन का मुख्य कच्चा माल यानी लौह अयस्क की बढ़ती कीमत से सरकार परेशान है।
सरकार लौह अयस्क खनन से जुड़ी कंपनियों से इसकी कीमत कम करने की अपील करने जा रही है ताकि 10 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी महंगाई की दर को काबू में लाया जा सके। वाणिज्य सचिव जी. के. पिल्लई ने यहां संवाददाताओं को बताया कि आगामी एक अप्रैल को लौह अयस्क खनन से जुड़ी कंपनियों के अफसरान सरकारी अधिकारियों से मुलाकात करेंगे।
लौह अयस्क के साथ-साथ अन्य वस्तुओं की बढ़ती कीमत ने पूरी दुनिया में मुद्रास्फीति की दर में इजाफा कर दिया है। इसी वजह से सरकारें निर्यात पर विराम लगा रही, आयात बढ़ा रही है और देसी जरूरतें पूरा करने के लिए पर्याप्त मात्रा में स्टॉक रख रही है।
जनवरी में यूपीए सरकार ने स्टील निर्माताओं से स्टील की कीमतें कम करने की अपील की थी और गेहूं, चावल और खाद्य तेल आदि के निर्यात पर पाबंदी लगा दी थी ताकि महंगाई पर काबू पाया जा सके। टाटा स्टील लिमिटेड समेत स्टील बनाने वाली दूसरी कंपनियों ने सरकार से लौह अयस्क के निर्यात पर पाबंदी लगाने की मांग की है। गौरतलब है कि लौह अयस्क की कीमत लगातार छठे साल बढ़ोतरी के रास्ते पर है।
चीन के बाद अर्थव्यवस्था में तेज रफ्तार से बढ़ोतरी कर रहा भारत 2012 तक अपनी स्टील कपैसिटी 12.4 करोड़ टन तक बढ़ाना चाहता है। ऐसे में रामविलास पासवान के मुताबिक, लौह अयस्क के निर्यात पर पाबंदी लगानी ही होगी। पिछले साल मार्च में सरकार ने 62 फीसदी से कम फेरस वाले लौह अयस्क के निर्यात पर 50 रुपये प्रति टन का टैक्स लगाया था जबकि इसके अलावा दूसरी तरह के लौह अयस्क पर 300 रुपये प्रति टन का। भारत के पास 25 खरब टन का लौह अयस्क भंडार है।