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महंगे आलू से राहत पर आंदोलन की आफत

Last Updated- December 14, 2022 | 8:42 PM IST

किसान आंदोलन से आलू की महंगाई से राहत मिलने की उम्मीद पर पानी फिर सकता है। हालांकि अभी तक आंदोलन से दिल्ली में आलू की आवक व कीमतों पर असर नहीं पड़ा है। लेकिन आंदोलन लंबा खिंचने पर आपूर्ति बाधित होने से आलू महंगा हो सकता है। इसके अलावा सब्जी और फलों की कीमतें भी आपूर्ति घटने पर बढ़ सकती हैं। किसान आंदोलन से पहले उत्तर प्रदेश से आलू की आवक जोर पकडऩे पर इसके दाम जनवरी में सामान्य होने की संभावना जताई जा रही थी। इस समय मंडी में पंजाब व दक्षिण भारत के राज्यों के साथ ही उत्तर प्रदेश से थोड़ी—थोड़ी आलू की आवक होने लगी है। लेकिन पुराना आलू कम बचने और नए आलू की आवक में देरी के कारण कीमतों पर ज्यादा दबाव नहीं बन पा रहा है। इन दिनो मंडियों में आलू 20 से 40 रुपये किलो बिक रहा है। खुदरा बाजार में आलू के भाव 40 से 50 रुपये चल रहे हैं। पिछले साल की तुलना में इस साल आलू दो से तीन गुना महंगा बिक रहा है। इसकी वजह असमय बारिश और प्रतिकूल मौसम से आलू की पैदावार में गिरावट आना है।
दिल्ली स्थित आजादपुर मंडी में पंजाब से आलू मंगाने वाले आलू कारोबारी हरीश वर्मा ने बताया कि किसान आंदोलन के बावजूद आज पंजाब से 90 गाड़ी आलू की आवक हुई। आलू कारोबारी विनेश कुमार कहते हैं कि आंदोलन से अभी तक सिंघु बार्डर पर ही दिक्कत है। ऐसे में आलू दूसरे रास्तों से दिल्ली की मंडियों में आ रहा है। अगर आंदोलन लंबा चला और सभी बार्डर सील हुए तो आवक बाधित हो सकती है। जिससे दाम भी चढ़ सकते हैं।
अगर आंदोलन जल्द समाप्त हो गया तो जनवरी में आलू के दाम सामान्य स्तर तक आ सकते हैं। फेडरेशन आफ कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन आफ इंडिया के अध्यक्ष राजेश गोयल ने बताया कि कोल्ड स्टोरों में महज 5 से 7 फीसदी ही आलू बचा है। पंजाब से नया आलू मंडियों में आ रहा है। लेकिन पुराना महंगा होने के बीच नये आलू की आवक बहुत ज्यादा नहीं है। प्रतिकूल मौसम से आलू की आवक में देरी भी हुई है। इसलिए आलू के दाम उंचे बने हुए हैं। अगले महीने से उत्तर प्रदेश से नए आलू की आवक जोर पकड़ेगी जिससे आलू के दाम सामान्य स्तर पर आ जाएंगे। पोटेटो—अनियन मर्चेंट एसोसिएशन आजादपुर के महासचिव राजेंद्र शर्मा कहते हैं कि जनवरी में यूपी से नए आलू की आवक का दबाव बढऩे पर आलू के दाम घटकर 15 से 20 रुपये किलो तक आ सकते हैं। चूंकि इस साल महंगे बीज पर आलू लगाया गया है ऐसे में आलू की कीमतें बहुत ज्यादा गिरने की संभावना कम है। पिछले साल देश में भंडारण क्षमता के मुकाबले 78 फीसदी आलू के कोल्ड स्टोर भरे थे। इस साल 62 से 65 फीसदी कोल्ड स्टोर ही भरे हैं। देश में 40 से 45 करोड़ कट्टा (50 किलोग्राम) आलू का भंडारण होने का अनुमान है। इस साल देश में करीब 480 लाख क्विंटल आलू का उत्पादन हुआ है, जो पिछले साल के करीब 500 लाख क्विंटल उत्पादन से कम है।
इस बीच, किसान आंदोलन लंबा खिचने पर सब्जी और फलों के दाम भी बढ़ सकते हैं। चैंबर ऑफ फ्रूट ऐंड वेजिटेवल आजादपुर के महासचिव व फल कारोबारी राजकुमार भाटिया ने बताया कि दो दिन पहले किसान आंदोलन से आवक प्रभावित हुई थी, लेकिन सोमवार को आवक सामान्य रही। आजादपुर मंडी के सब्जी कारोबारी सुभाष चुघ ने कहा कि अभी तक तो आंदोलन का सब्जियों की आवक व कीमत पर असर नहीं हुआ है। क्योंकि मंडी में दूसरे रास्तों से आवक हो रही है। लेकिन आंदोलन लंबा खिंचने पर और सभी रास्ते बंद होने पर सब्जियों की किल्लत हो सकती है जिससे इनके दाम भी बढ़ सकते हैं। आजादपुर मंडी के ही सब्जी कारोबारी बलवीर भल्ला कहते हैं कि आंदोलन से आवक पर थोड़ा असर तो हुआ है। लेकिन इतना नहीं कि दाम काफी बढ़ जाए।

First Published - November 30, 2020 | 11:48 PM IST

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