गैर-कृषि वस्तुओं की कीमतों में हाल में आए भारी उछाल आने वाले दिनों में गिरावट में तब्दील हो सकते हैं।
बताया जा रहा है कि मुनाफावसूली के चलते आने वाले महीनों में इन वस्तुओं की कीमतों में गिरावट का रुख रहने की उम्मीद है।शिकागो की कमोडिटी ट्रेडिंग फर्म अलरॉन के प्रबंध निदेशक स्कॉट स्लस्की ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा कि कृषि वस्तुओं की कीमत इसकी भारी मांग पर निर्भर करेगी और मुनाफावसूली केचलते अगर कीमतों में गिरावट आएगी भी तो वह टिकाऊ साबित नहीं होगी।
उधर, इस साल के आखिर तक या फिर 2009 की पहली तिमाही में कच्चे तेल व सर्राफा बाजार में 15-20 फीसदी की गिरावट दर्ज की जा सकती है।अमेरिकी कोमेक्स में अलरॉन अग्रणी ट्रेडिंग फर्म है। इस फर्म ने भारतीय निवेशकों को अंतरराष्ट्रीय कमोडिटी बाजार में मौजूद प्रॉडक्ट में निवेश की खातिर रिलायंस मनी केसाथ एमओयू पर हस्ताक्षर किया है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत 1032 डॉलर प्रति आउंस के रेकॉर्ड स्तर से गिरकर 900 डॉलर प्रति आउंस के स्तर पर आ गई है। अलरॉन के एमडी का कहना है कि गैर-कृषि वस्तुओं में मुनाफावसूली का दौर शुरू हो चुका है और आने वाले महीनों में यह और भी गहरा होगा। इस तरह मुनाफावसूली कर निवेशक निचले स्तर पर एक बार फिर निवेश करेंगे।
उन्होंने कहा कि जनवरी 2009 तक सोना गिरकर 750 डॉलर प्रति आउंस पर और कच्चा तेल गिरकर 75 डॉलर प्रति बैरल पर आ सकता है। उन्होंने कहा कि ब्राजील, रूस, अर्जेंटीना और कुछ अन्य देश अपने पेट्रो डॉलर के निवेश के लिए रास्ता तलाश रहे हैं। कई पश्चिमी एशियाई देश तेल से हुई कमाई को निवेश करने की इच्छा रखते हैं और गिरते हुए शेयर बाजार निश्चित रूप से उन्हें अपनी ओर आकर्षित करेंगे।
स्कॉट ने कहा कि अमेरिकी बाजार के बुरे दिन अभी बाकी हैं और कुछ और गिरावट के चलते पेट्रो में हुए निवेश शेयर बाजार की ओर बढ़ते दिखाई देंगे। स्कॉट का कहना है कि मांग में बढ़ोतरी और सप्लाई में कमी के चलते आने वाले दिनों में गेहूं, चावल, मक्का, सोयाबीन और चीनी की कीमतों में उछाल जारी रहेगा। उन्होंने हालांकि कहा कि बीच-बीच में मुनाफावसूली चल सकती है, लेकिन तेजी का रुख जारी रहेगा।
स्कॉट का कहना है कि कमोडिटी मार्केट में उतारचढ़ाव का सिलसिला जारी रहेगा और ऐसे में कामयाबी के लिए रिस्क मैनेजमेंट का भी ध्यान रखना होगा। उन्होंने कहा कि खरीदारी करना और उसे लंबे समय तक होल्ड करना पर्याप्त नहीं होगा और बने रहने के लिए रिस्क मैनेजमेंट जरूरी है। भारतीय कमोडिटी बाजार के भविष्य पर उन्होंने कहा कि टैक्स के भारी बोझ से इसके विकास पर असर पड़ेगा। उन्होंने कमोडिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (सीटीटी) को इस बाजार से लिए गैरजरूरी बताया।