सरकार ने शिक्षा और स्वास्थ्य खर्च के लिए महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए हैं, लेकिन वित्त मंत्री द्वारा बजट में वर्ष 2022-23 के लिए किया गया आवंटन इन लक्ष्यों के करीब तक नहीं पहुंच रहा है। दो साल पहले जारी की गई नई शिक्षा नीति में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का छह प्रतिशत हिस्सा शिक्षा (केंद्र और राज्यों दोनों के व्यय को मिलाकर) के आवंटन की परिकल्पना की गई थी। बिज़नेस स्टैंडर्ड के एक विश्लेषण से पता चलता है कि वर्ष 2014-15 के बाद से जीडीपी के प्रतिशत के रूप में केंद्र के शिक्षा व्यय में गिरावट आई है।
हालांकि सरकार ने वर्ष 2022-23 के लिए शिक्षा व्यय की खातिर एक लाख करोड़ रुपये तक की राशि आवंटित की है, लेकिन सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में वित्त वर्ष 23 में व्यय केवल 0.4 प्रतिशत राशि का ही होगा। वर्ष 2021-22 में संशोधित अनुमानों से इस बात का संकेत मिलता है कि सरकार ने शिक्षा पर सकल घरेलू उत्पाद का 0.38 प्रतिशत व्यय किया था। अलबत्ता वर्ष 2014-15 में केंद्र का शिक्षा व्यय 0.55 प्रतिशत था। वर्ष 2018-19 में यह गिरकर 0.43 प्रतिशत रह गया। वैश्विक महामारी से पहले केंद्र का शिक्षा व्यय सकल घरेलू उत्पाद का 0.45 प्रतिशत था।
यह बचत कृपा, अगर इसे ऐसा कहा जा सकता है, राज्यों का शिक्षा व्यय रही है, जो वर्ष 2014-15 के बाद से कम नहीं हुआ है, हालांकि मामूली रूप से बढ़ गया है। वर्ष 2014-15 में सभी राज्यों का शिक्षा व्यय जीडीपी का 2.6 प्रतिशत था और वर्ष 2021-22 में यह 2.77 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
वर्ष 2014-15 के आंकड़ों के समान वर्ष 2021-22 में संयुक्त शिक्षा व्यय जीडीपी का 3.15 प्रतिशत होगा, लेकिन फिर भी यह सरकार के छह प्रतिशत के लक्ष्य का आधा ही है।
दूसरी तरफ स्वास्थ्य व्यय बेहतर तो रहा है, लेकिन यह अब भी वर्ष 2025 के लिए सरकार द्वारा निर्धारित 2.5 प्रतिशत के लक्ष्य (केंद्र और राज्य का संयुक्त) के पास भी नहीं ठहरता।
बजट के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि वैश्विक महामारी से पहले भी स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग का व्यय बढ़ रहा था। वर्ष 2014-15 में केंद्र ने जीडीपी का 0.25 प्रतिशत व्यय किया था और महामारी से पहले यह बढ़कर 0.31 प्रतिशत हो गया था। वर्ष 2020-21 में यह बढ़कर 0.39 प्रतिशत हो गया तथा वर्ष 2021-22 में यह 0.38 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। वर्ष 2022-23 में यह बढ़कर 0.4 प्रतिशत हो जाएगा। वर्ष 2014-15 के 0.9 प्रतिशत के मुकाबले इस वित्त वर्ष में कुल व्यय 1.3 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।
इसके अलावा विश्लेषण से पता चलता है कि हालांकि कुल व्यय में केंद्र की स्वास्थ्य व्यय में हिस्सेदारी बढ़ रही है, लेकिन शिक्षा की हिस्सेदारी में गिरावट आई है। वर्ष 2014-15 के दौरान कुल व्यय में शिक्षा की हिस्सेदारी 4.1 प्रतिशत थी और वर्ष 2022-23 में यह 2.6 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। अगले वित्त वर्ष में स्वास्थ्य व्यय की हिस्सेदारी 2.2 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।
उपरोक्त गणना इस तथ्य पर निर्भर करती है कि केंद्र अगले वर्ष वास्तव में बजट में निर्धारित यह राशि व्यय कर देगा। बिज़नेस स्टैंडर्ड के विश्लेषण से पता चलता है कि वर्ष 2017-18 को छोड़कर शिक्षा पर वास्तविक व्यय पिछले आठ वर्षों में से सात वर्ष के दौरान बजट में निर्धारित व्यय से कम रहा है।