सरकार यह अंदाजा लगा रही है कि अगले वित्तीय वर्ष 2010 में कुल सब्सिडी की रकम में कमी आ सकती है, क्योंकि कच्चे तेल की कीमत मौजूदा स्तर के आसपास ही रहेगी।
सोमवार को पेश किए गए अंतरिम बजट के आंकड़े को देखें, तो सरकारी सब्सिडी 21.8 फीसदी सिकुड़ कर 1,00,932 करोड़ रुपये रहेगा। हालांकि समीक्षाधीन वित्तीय वर्ष में इस बाबत संशोधित अनुमान 1,29,243 करोड़ रुपये है। देसी खाद, आयातित यूरिया पर सब्सिडी जारी रखी जाएगी।
आईओसी जैसी तेल विपणन कंपनी को दी जाने वाली सब्सिडी को बजटीय आवंटन से बाहर रखा गया है। इस लिहाज से देखें, तो उर्वरकों पर दी जा रही सब्सिडी सर्वाधिक रही है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय कीमतों में गिरावट की वजह से सरकार को उर्वरक पर दी जाने वाली सब्सिडी में राहत मिलेगी।
2009-10 में उर्वरकों पर दी जाने वाली सब्सिडी कुल सब्सिडी का आधा होगा। कहने का मतलब है कि मौजूदा वित्त वर्ष से यह सब्सिडी 6 फीसदी आधार कम होगी।
सरकार अनुमान लगा रही है कि जन वितरण प्रणाली में बेचे जा रहे खाद्यान्नों पर दी जा रही सब्सिडी में सरकार को राहत पहुंच सकती है, क्योंकि इसकी कीमतों में भी कमी के आसार हैं।
2009-10 में खाद्यान्नों पर दी जा रही सब्सिडी 42489.72 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जो मौजूदा वित्त वर्ष के 43627.2 करोड़ रुपये से 2.6 फीसदी कम है।
कई तरह के कर्ज पर दी जा रही ब्याज के रूप में सरकारी सब्सिडी में भी कमी आ सकती है। अनुमान है कि 2009-10 में इसमें 36 फीसदी की गिरावट दर्ज की जा सकती है।