आगामी बजट में भारत के रक्षा खर्च में 8 से 10 प्रतिशत की वृद्धि होने की संभावना है। हालांकि सेना को खुश करने के लिए यह पर्याप्त नहीं होगा, लेकिन दुनिया क ी चौथी सबसे बड़ी मिलिट्री के आधुनिकीकरण के लिए यह रकम जरूर ज्यादा होगी।
भारत दुनिया का उभरता हुआ हथियार खरीदार के रुप में उभर रहा है। इसी कड़ी में भारत 126 जेट फाइटर खरीदने की योजना बना रहा है। अमेरिका के रक्षा मंत्री रॉबर्ट गेट्स इस सौदे की बोली के लिए अभी भारत में ही हैं। लेकिन धीमी नौकरशाही प्रक्रिया के कारण हथियार खरीद जल्द न होकर थोड़ी देर से होगी।
चुनाव के मद्देनजर शुक्रवार के बजट में रोजगार के अवसरों और स्वास्थ्य की देखभाल पर भी ज्यादा राशि आवंटित होने की उम्मीद है।
एक वरिष्ठ रक्षा अधिकारी के मुताबिक रक्षा क्षेत्र के लिए आबंटन मुद्रास्फीति की सीमाओं को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए अगर यह दर 10 प्रतिशत से नीचे रहता है। 2007 में मुद्रास्फीति 5.51 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि सरकार लोगों के इच्छा के अनुसार बजट लाने की सोच रही है, लेकिन इसमें नए हथियार तंत्र विकसित करने क ी प्रक्रिया को बरकरार रखा जाना चाहिए।
13 लाख की क्षमता वाली भारतीय सेना के रक्षा बजट में मार्च 2008 के अंत तक 22 अरब डॉलर का बजट रहा और यह वृद्धि 7.8 प्रतिशत रही। लेकिन नौकरशाहों के रवैये के कारण पूंजी परिव्यय का बहुत कम रकम ही खर्च हो पाया। सेवानिवृत सेनाध्यक्ष अशोक मेहता ने बताया कि वे इस रवैये से खासा निराश हैं, क्योंकि पूंजी कोष को खर्च करने के निर्णय लेने में हर कोई काफी समय लेता है। वैसे भी राजीव गांधी के समय हुए बोफोर्स घोटाले के बाद तो रक्षा मंत्रालय के नौकरशाह हथियार खरीद के किसी भी सौदे को मंजूरी देने को लेकर काफी सजग रहते हैं।
आंकड़ों के मुताबिक नौकरशाहों और सेना-अधिकारियों के खिलाफ हथियार सौदे से जुड़े 36 मामले लंबित हैं। मेहता मानते हैं कि सरकार इस गड़बडझाला से डरे रहते हैं, जिस वजह से रक्षा खरीद का कोई भी सौदा धीरे-धीरे होता है।
वैसे भी भारत रक्षा खर्च के मामले में अपने प्रतिद्वंद्वी चीन और पाकिस्तान से पीछे है। भारत रक्षा बजट पर अपने सकल घरेलू उत्पाद का 2.5 प्रतिशत से भी कम खर्च करता है। रक्षा विशेषज्ञ इसे अच्छा नहीं मानते हैं। नई दिल्ली रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान के पूर्व निदेशक सी उदय भास्कर का कहना है कि पिछले 15 सालों से हम रक्षा क्षेत्र के आधुनिकीकरण की पुरानी प्रक्रिया को ही ढ़ो रहे हैं।
पिछले साल भारत ने कुछ लंबित रक्षा सौदों को पूरा किया था, जिसमें रूस से 347 टी-90 एस और अमेरिका से छह सी-130 जे मिलिट्री ट्रांसपोर्ट प्लेन की खरीद प्रमुख थी। 27 साल पहले हुए ब्रिटेन से उन्नत जेट ट्रेनर को भी वायुसेना में शामिल किया गया।
विकास और आधुनिकीकरण के साथ कदमताल मिलाते हुए अगले 4 साल में सोवियत-युग के बड़े हथियार खेप पर 30 अरब डॉलर खर्च करने की भी योजना है। इसी क्रम में जल सेना के लिए भी समुद्री आक्रामक एयरक्राफ्ट खरीदने और मिसाइल और तोप खरीदने की भी योजना है।
