पी.चिदंबरम
गृह मंत्री
अंतरिम बजट में संप्रग सरकार के तीव्र और अधिक समावेशी विकास की झलक दिखाई पड़ती है।
इन्हीं नीतियों की वजह से 2004-05 से देश में विकास की बयार तेज हुई है और देसी अर्थव्यवस्था ने मंदी का डटकर मुकाबला किया है। मंदी की वजह से इस साल बजट पेश करना खासा मुश्किल काम था, लेकिन वित्त मंत्री ने अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया है।
लाल कृष्ण आडवाणी
नेता, प्रतिपक्ष
मेरे हिसाब से तो इस बजट के साथ ही संप्रग सरकार की विदाई की शुरुआत हो चुकी है। वित्त मंत्री अपने भाषण में जिस ‘आम आदमी’ का जिक्र कर रहे थे, उसकी हालत तो इस सरकार के पूरे कार्यकाल में खराब ही रही।
अर्थव्यवस्था पर अब भले ही मंदी का असर हो रहा हो लेकिन इससे पहले सरकार की खराब नीतियों ने ही अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया, जिसका खामियाजा आम आदमी ने ही भुगता।
