नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने एयरपोर्ट संगठनों को स्पष्ट आश्वासन दिया है कि हैदराबाद और बेंगलुरु के पुराने एयरपोर्ट बंद नहीं होंगे। वहां से व्यापारिक
हाल ही में पटेल ने लोकसभा में कहा था कि पुराने हवाई अड्डे पूरी तरह बंद नहीं किए जाएंगे। यह सामान्य उड़ानों के लिए खुला रहेगा। एयरपोर्ट से निजी चार्टर
, रक्षा और आपातकालीन उड़ानों के लिए सेवाएं जारी रहेंगी। इंटरनेशनल एयरपोर्ट ट्रांसपोर्टेशन एसोसिएशन (आईएटीए) के पूर्व कंट्री हेड रबी लाल का कहना है, ”चार्टर संचालन से मतलब है कि छोटे एयरक्राफ्ट का ही संचालन होगा।
मतलब साभ है कि उनसे लैंडिग और पार्किंग शुल्क नहीं लिया जाएगा। नियमों के मुताबिक 80 सीट से छोटे एयरक्राफ्टों को सरकार ने लैंडिंग और पार्किंग शुल्क से मुक्त कर रखा है। स्पेस रेंटल, जैसे चेक–इन काउंटर और अन्य श्रोतों से भी कोई आमदनी नहीं होगी।”
कुल मिलाकर देखें तो सामान्य उड़ानें
, पहले से ही तय उड़ानों की जगह नहीं ले सकतीं। रबी लाल ने कहा, ‘हैदराबाद एयरपोर्ट ऐसा है कि उसे बंद किया जा सकता है।‘ उन्होंने कहा कि निजी चार्टर आपरेटर भी पुराने एयरपोर्ट की जगह नए को ही प्राथमिकता देंगे।
उदाहरण के लिए बी जेट, जो टाटा का व्यावसायिक जेट का संयुक्त उपक्रम है, जल्द ही शुरू होगा। इसका संचालन हैदराबाद के नए एयरपोर्ट, शम्साबाद से उड़ान भरेगा। हैदराबाद एयरपोर्ट से प्रतिदिन केवल 6-7 बिजनेस जेट का संचालन होता है। इसका व्यापार में कोई खास योगदान नहीं है।
एक अधिकारी का कहना है कि सामान्य उड़ानों से कुल राजस्व के 1-2 प्रतिशत से अधिक नहीं कमाया जा सकता है। दो एयरपोर्टों ने वर्ष 2006-07 में 304 करोड़ रुपये राजस्व अर्जित किया था। उन्हें कर भुगतान के बाद भी 324 करोड़ रुपये लाभ हुआ था।
एक निजी चार्टस सेवा के संचालक ने कहा
, ‘एक एयरपोर्ट आपरेटर के लिए सामान्य उड़ानें संचालित करके अस्तित्व बचाए रखना मुश्किल काम है। हम इस व्यवसाय में पिछले 4-5 साल से हैं। जब हम अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों से तुलना करते हैं तो लगता है कि हमने सामान्य उड़ानों के बाजार को अभी भी नहीं पकड़ा है।‘
बहरहाल नए एयरपोर्ट सार्वजनिक–निजी भागीदारी के संयुक्त प्रयास से बनाए जा रहे हैं। सरकार से हुए समझौते के मुताबिक अगले चरण में यहां से भी सामान्य उड़ानों की सेवाएं संचालित होंगी।
हालांकि कुछ विशेषज्ञों की राय है कि पुराने हवाईअड्डों पर कमर्शियल संचालन का प्रभाव नए हवाईअड्डों पर किसी तरह से भी नहीं पड़ेगा। प्राइसवाटलहाउस कूपर्स के अमृत पांडुरंगी का कहना है
, ‘जब दोनों एयरपोर्टों के लिए सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किया जा रहा था, उसकी तुलना में अब हवाई यात्रियों की संख्या में पहले ही दो गुना की वृध्दि हो चुकी है। अतिरिक्त यात्रियों के बोझ को नियंत्रित करने के लिए आने वाले दिनों में और अधिक क्षमता की जरूरत होगी। इसलिए दोनों हवाईअड्डों पर उड़ानें जारी रखी जानी चाहिए।‘
बहरहाल कुछ आपरेटर इस मामले में आशावादी हैं कि नए एयरपोर्ट लंबे समय के लिए कम खर्चीले बने रहेंगे। दक्कन के एक अधिकारी ने कहा
, ‘पुराने एयरपोर्टों के संचालकों को इस दिशा में सोचना चाहिए कि सामान्य उड़ाने संचालित करने वालों पर कुछ अतिरिक्त शुल्क लगाएं, जिससे उनके राजस्व में बढ़ोतरी हो सके। साथ ही उन्हें निजी चार्टर सेवाएं देने वालों को कुछ अतिरिक्त सुविधाएं भी देनी होंगी।‘
दक्कन एयरवेज के वाइस चेयरमैन जीआर गोपीनाथ ने पहले ही कहा है कि पुराने एयरपोर्ट बंद नहीं होने चाहिए। उन्होंने कहा कि एयरपोर्टों के बीच प्रतियोगिता को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, जैसा कि पूरी दुनिया में एयपोर्ट संचालकों के बीच है।
लेकिन एयरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया के अधिकरियों का कहना है कि पुराने एयरपोर्टों को बरकरार रखना व्यावहारिक नहीं होगा। एएआई के एक अधिकारी ने बेंगलुरु एयरपोर्ट पर कहा
, ‘हमारे पास सामान्य उड्डयन एयरक्राफ्टों की अच्छी संख्या है।बाद में इनके लिए सुविधाएं बढ़ानी पड़ेंगी। इस एयरपोर्ट को ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट विकसित किए जाने के बाद बंद किया जा रहा है। नए एयरपोर्ट शहर से बहुत दूर हैं। यह बहुत महत्वपूर्ण है, जिसका लाभ पुराने एयरपोर्ट को मिलेगा। ‘