वित्त मंत्री द्वारा आभासी डिजिटल परिसंपत्तियों पर कर लगाने की घोषणा को 38 लाख करोड़ रुपये के युचुअल फंड (एफएम) उद्योग को बढ़ावा मिलने के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि इससे और अधिक युवाओं को इसकी जद में आने में मदद मिलेगी। परिसंपत्ति प्रबंधन उद्योग के अधिकारियों ने भी इस अधिभार पुनर्गठन की घोषणा का स्वागत किया है।
आईडीएफसी एएमसी के मुख्य कार्याधिकारी विशाल कपूर ने कहा ‘घरेलू बचत को और अधिक बढ़ाने के लिए मध्य वर्ग के आय करदाताओं के वास्ते कर रियायतों की सामान्य उम्मीद के बावजूद यह बजट कर दरों या स्लैब में बदलाव नहीं करने के लिहाज से अलग रहा है। डिजिटल परिसंपत्ति से लाभ पर कराधान से अटकलों को रोकने में मदद मिलेगी और एमएफ जैसे भलीभांति विनियमित दीर्घकालिक निवेश में बचत की राह दिखाने में मदद मिलनी चाहिए।
मंगलवार को अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री ने यह प्रस्ताव दिया है कि किसी भी आभासी डिजिटल परिसंपत्ति के हस्तांतरण से होने वाली किसी भी आय पर 30 प्रतिशत की दर से कर लगाया जाएगा। इसके अलावा लेनदेन की जानकारी पाने के लिए मौद्रिक सीमा से ऊपर ऐसे मामले में एक प्रतिशत की दर से आभासी डिजिटल परिसंपत्ति के हस्तांतरण के संबंध में किए गए भुगतान पर स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) करने का भी प्रस्ताव किया गया है।
म्युचुअल फंड कंपनियों का कहना है कि अब तक कई निवेशक क्रिप्टो करेंसी में निवेश किया करते थे, क्योंकि इस संबंध में कराधान का कोई उचित ढांचा नहीं था। इस घोषणा से आभासी डिजिटल परिसंपत्तियों में मुनाफा वसूली करना और पैसे को युचुअल फंड जैसी वित्तीय परिसंपत्तियों में स्थानांतरित करना सही जान पड़ता है।
इसके अलावा बजट में किसी भी प्रकार की परिसंपत्तियों के हस्तांतरण पर उत्पन्ना होने वाले दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ पर अधिभार को 15 प्रतिशत के स्तर पर सीमित करने का भी प्रस्ताव रखा गया है। ग्रांट थॉर्नटन भारत के अनुसार इक्विटी प्रधान युचुअल फंड के हस्तांतरण से किसी भी कर निर्धारक को होने वाले दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (एलटीसीजी) पर
अधिभार की मौजूदा दर 15 प्रतिशत के स्तर पर सीमित है।
डेट उन्मुख युचुअल फंड के हस्तांतरण से होने वाले एलटीसीजी पर अधिभार की वर्तमान दर करदाता (यानी कॉरपोरेट, एलएलपी, सहकारी समितियां, व्यक्ति, एचयूएफ आदि) की कानूनी स्थिति पर निर्भर करती है और यह 37 प्रतिशत तक जा सकती है। इकनॉमिक लॉज प्रैक्टिस के साझेदार मितेश चौहान कहते हैं कि प्रस्तावित संशोधन से इक्विटी और डेट म्युचुअल फंड की इकाइयों के हस्तांतरण पर दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ पर अधिकतम अधिभार की दर 15 प्रतिशत होगी। यह एक सकारात्मक संशोधन है। यह युचुअल फंड उद्योग को बहु-अपेक्षित प्रोत्साहन प्रदान करेगा।
एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के मु्रख्य कार्यकारी एनएस वेंकटेश ने कहा कि किसी भी प्रकार की परिसंपत्ति के हस्तांतरण पर होने वाले दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ पर अधिभार पर प्रस्तावित 15 प्रतिशत की सीमा और संपूर्ण पीएम गति-शक्ति की पहल से दीर्घकाल में इक्विटी बाजार को सक्रिय किए जाने की उ मीद की जा रही है। इक्विटी युचुअल फंड निवेशकों को कई उपायों से लाभ मिलेगा, जिसका आने वाले समय में गहरा असर होगा।
