facebookmetapixel
प्रीमियम स्कूटर बाजार में TVS का बड़ा दांव, Ntorq 150 के लिए ₹100 करोड़ का निवेशGDP से पिछड़ रहा कॉरपोरेट जगत, लगातार 9 तिमाहियों से रेवेन्यू ग्रोथ कमजोरहितधारकों की सहायता के लिए UPI लेनदेन पर संतुलित हो एमडीआरः एमेजॉनAGR बकाया विवाद: वोडाफोन-आइडिया ने नई डिमांड के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख कियाअमेरिका का आउटसोर्सिंग पर 25% टैक्स का प्रस्ताव, भारतीय IT कंपनियां और GCC इंडस्ट्री पर बड़ा खतरासिटी बैंक के साउथ एशिया हेड अमोल गुप्ते का दावा, 10 से 12 अरब डॉलर के आएंगे आईपीओNepal GenZ protests: नेपाल में राजनीतिक संकट गहराया, बड़े प्रदर्शन के बीच पीएम ओली ने दिया इस्तीफाGST Reforms: बिना बिके सामान का बदलेगा MRP, सरकार ने 31 दिसंबर 2025 तक की दी मोहलतग्रामीण क्षेत्रों में खरा सोना साबित हो रहा फसलों का अवशेष, बायोमास को-फायरिंग के लिए पॉलिसी जरूरीबाजार के संकेतक: बॉन्ड यील्ड में तेजी, RBI और सरकार के पास उपाय सीमित

मंदी में कारगर नहीं अंतरिम बजट

Last Updated- December 10, 2022 | 1:17 AM IST

अंतरिम बजट होने से इसमें बहुत अनिश्चितता है। आने वाले दिनों में कितनी परियोजनाओं को सुचारू रूप से कार्यान्वित किया जाएगा, यह देखने लायक होगा। हालांकि नई सरकार पर भी बहुत सारी बातें निर्भर करेंगी।
इस बजट से एक बात तो साफ जाहिर हो रही है कि अगला साल काफी दुखदायी होने जा रहा है और ऐसा इसलिए भी है क्योंकि कर वसूली बहुत कम हुई है। इसके इतर खर्चे बढ़ते ही जाएंगे।
इसका मतलब यह हुआ कि सरकार का वित्तीय घाटा काफी बढ़ जाएगा। लिहाजा अगर सरकार खर्चा अधिक करती है तो उस पर उधारी का दबाव बढ़ेगा और उसके परिणामस्वरूप राजकोषीय घाटा बढ़ेगा।
पहली बात तो यह भी कि यह अंतरिम बजट है यानी यह कुछ ही महीनों के लिए है। नई सरकार के आने के बाद एक बार फिर से आम बजट को पेश किया जाएगा। ऐसे में इस अंतरिम बजट से मंदी के इस दौर में कोई खास फायदा नहीं होने वाला है।
यह अंतरिम बजट अप्रैल से लागू होना है। उसके बाद सरकार चुनाव की तैयारी में जुट जाएगी। मसलन, इस अंतरिम बजट के विभिन्न प्रस्तावों को लागू किए जाने और आगामी चुनाव की तैयारियों के बीच बहुत ज्यादा समय नहीं बचेगा। उस वक्त तक सरकार कितनी परियोजनाओं को कार्यान्वित कर पाएगी, यह देखना होगा।
कोई भी अनुमान लगा सकता है कि इतने कम समय में सरकार किन-किन परियोजनाओं को लागू कर सकती है।
बातचीत : पवन
अंतरिम बजट में बुनियादी क्षेत्रों पर बहुत जोर दिया गया है और सार्वजनिक-निजी साझेदारी (पीपीपी मॉडल) के तहत निवेश की बात कही गई, लेकिन निवेश प्रारूप को तय नहीं किया गया है, बल्कि उसे अगली सरकार पर छोड़ दिया गया है।
अश्विनी कुमार
उद्योग राज्यमंत्री
मौजूदा वैश्विक स्थिति को देखते हुए कोई कदम नहीं उठाया गया है। सही मायने में वित्त मंत्री ने एक राजनीतिक बजट पेश किया है, जबकि मंदी के माहौल में सरकार से हर क्षेत्र को काफी आशा थी। लेकिन इस बजट से किसी क्षेत्र का भला नहीं होने वाला है।
उदय कोटक
उपाध्यक्ष, कोटक महिंद्रा बैंक

First Published - February 17, 2009 | 12:06 AM IST

संबंधित पोस्ट