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बुनियादी ढांचे से रही बजट की बेरुखी

Last Updated- December 10, 2022 | 1:16 AM IST

देश का तीव्र आर्थिक विकास सुनिश्चित करने के लिए भले ही बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाए जाने की बात की जाती रही हो, पर अंतरिम बजट इस क्षेत्र के लिए उत्साहवर्द्धक नहीं रहा है।
पिछले बजट की तुलना में इस बजट में ऊर्जा और परिवहन क्षेत्रों के आवंटन में मामूली बढ़ोतरी की गई है। दूसरी ओर, संचार क्षेत्र के आवंटन में 20 फीसदी की कमी कर दी गई है। वैसे, अपने भाषण में प्रणव मुखर्जी ने माना कि देश में पर्याप्त बुनियादी सुविधाओं का अभाव है।
फिर भी धन का आवंटन या तो थोड़ा ही बढ़ाया या घटा दिया गया। नीचे ऊर्जा, परिवहन और संचार जैसे तीन प्रमुख आधारभूत संरचनाओं के बजट आवंटन का ब्योरा दिया गया है।
ऊर्जा क्षेत्र : इस बार ऊर्जा क्षेत्र के खर्च में महज 16 फीसदी की गई है, जबकि पिछले बजट में इस मद में 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। 2009-10 में ऊर्जा क्षेत्र पर 1 लाख 14 हजार 537 करोड़ रुपये खर्चने का प्रबंध किया गया है।
मालूम हो कि वित्त वर्ष 2008-09 में संशोधित खर्च अनुमान महज 98 हजार 877 करोड़ रुपये रहा। संशोधन से पूर्व बजट अनुमान इससे 5 फीसदी कम 93,815 करोड़ रुपये रहा था। 

परिवहन क्षेत्र : ग्रामीण इलाकों के सड़क पर होने वाले खर्च को शामिल कर लें तो परिवहन क्षेत्र पर खर्च इस बार महज 10 फीसदी ही बढ़ाई गई है।
पिछले बजट में इसमें 22 फीसदी की खासी वृद्धि की गई थी। संशोधन के बाद 2008-09 का खर्च अनुमान बढ़कर जहां 78,269 करोड़ रुपये हो गया। वहीं 2009-10 के लिए यह 86,218 करोड़ रुपये हो गया है। संशोधन से पहले परिवहन क्षेत्र पर 7 फीसदी अधिक यानी 84,177 करोड़ रुपये निवेश करने की योजना थी।
बहरहाल, अगले वित्त वर्ष के लिए प्रस्तावित खर्च का 43 फीसदी रेलवे के लिए तो 38 फीसदी सड़क और पुलों के निर्माण के लिए रखा गया है।
संचार क्षेत्र : 2008-09 के बजट का संशोधित अनुमान जहां 20,237 करोड़ रुपये रहा, वहीं इस बजट में इस क्षेत्र को महज 16,680 करोड़ रुपये का आवंटन दिया गया। इस तरह, पिछले वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान से यह खर्च 17.6 फीसदी कम रही।
पी. चिदंबरम ने पिछले बजट में संचार क्षेत्र के बजट आवंटन में 32 फीसदी की जबरदस्त वृद्धि की थी। हालांकि , प्रणब मुखर्जी ने कहा कि पैकेज के चलते अगस्त 2008 से जनवरी 2009 के बीच बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश में खासी बढ़ोतरी हुई है।
उन्होंने बताया कि इस दौरान सरकार ने 37 परियोजनाओं में 70 हजार करोड़ रुपये के निवेश को मंजूरी दी। लोक-निजी भागीदारी के जरिए बुनियादी क्षेत्र में हुए निवेश के बारे में मुखर्जी ने बताया, ’54 केंद्रीय परियोजनाओं में 67,700 करोड़ रुपये के निवेश को पीपीपी समिति द्वारा मंजूरी दे दी गई है। वहीं 23 अन्य परियोजनाओं में 27,900 करोड़ रुपये के निवेश को मंजूरी दी जा रही है।’
मुखर्जी ने बताया कि अगले 18 महीनों में मुश्किल क्षेत्रों में पीपीपी परियोजनाओं की बैंक फंडिंग दुबारा शुरू करने के लिए इंडिया इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनैंस कंपनी लिमिटेड को अधिकृत किया जा रहा है। इसके लिए आईआईएफ-सीएल मार्च 2009 तक 10 हजार करोड़ रुपये जुटाएगी।
जरूरत पड़ने पर और 30 हजार करोड़ रुपये का जुगाड़ किया जाएगा। इस तरह बैंकों और आईआईएफसीएल के सहयोग से बुनियादी क्षेत्र में 1 लाख करोड़ रुपये का निवेश संभव हो जाएगा।

दवा निर्माता कंपनियों के लंबे इंतजार के बाद 2008-09 के बजट में फार्मास्युटिकल क्षेत्र के लिए उत्पाद शुल्क को 16 प्रतिशत से कम कर 8 प्रतिशत कर दिया गया है।
कुछ विशेष जीवनरक्षक दवाओं और दूसरी दवाओं में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल पर से सीमा शुल्क को 10 प्रतिशत से कम कर 5 प्रतिशत कर दिया गया है।
खास बातें
कहीं खुशी, लेकिन काफी जगह गम
बुनियादी ढांचा : इस बार ऊर्जा क्षेत्र के खर्च में महज 16 फीसदी की गई है, जबकि पिछले बजट में इस मद में 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। 

ग्रामीण इलाकों की सड़कों पर होने वाले खर्च को शामिल कर लें तो परिवहन क्षेत्र पर खर्च इस बार महज 10 फीसदी ही बढ़ाई गई है। संशोधन के बाद 2008-09 का खर्च अनुमान बढ़कर जहां 78,269 करोड़ रुपये हो गया। 
खाद्य सुरक्षा : सोमवार को पेश 2009-10 के अंतरिम बजट में इस विभाग के लिए 42,413 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई। 2008-09 के संशोधित बजट अनुमान में यह आवंटन 44,147 करोड़ रुपये का रहा है।
कृषि क्षेत्र : अंतरिम बजट में किसानों को सस्ते कर्ज देते रहने की घोषणा की। अगले वित्त वर्ष में 7 फीसदी की ब्याज दर से 3 लाख रुपये तक के लघु अवधि फसल ऋण किसानों को मिलेंगे। हालांकि, बजट में बताया गया है कि 2009-10 के दौरान किसानों को 2,011 करोड़ रुपये की सहायता दी जाएगी।
पूंजीगत खर्च : बजट दस्तावेजों के मुताबिक प्रस्तावित पूंजीगत खर्चे 2009-10 में 7.8 फीसदी बढ़कर 1,05,146 करोड़ रुपये हो जाएंगे। इस वित्त वर्ष में इसका आंकड़ा 97,507 करोड़ रुपये रहने की उम्मीद है। हालांकि, अगले वित्त वर्ष में योजनागत पूंजीगत खर्च घटकर 11 फीसदी रह गए हैं।

First Published - February 16, 2009 | 11:54 PM IST

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