आम आदमी को महंगाई से बचाकर चुनावी बाजी जीतने के फेर में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के जिस ‘हाथ’ का जिक्र वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने किया, वह खजाने पर खासा भारी पड़ने वाला है।
मंदी के बीच कर वसूली से होने वाली कमाई कम होने के बावजूद लोक लुभावनी घोषणाओं में खर्च बढ़ने से राजकोषीय घाटा अनुमान से ज्यादा रहना कमोबेश तय है। राहत पैकेजों की कीमत भी संप्रग के उसी आम आदमी को ब्याज की ऊंची दरों की शक्ल में चुकानी पड़ सकती है।
मुखर्जी ने लोकसभा में आज जब अंतरिम बजट पेश किया, तो उन्होंने बताया कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 4.5 फीसदी हिस्सा यानी लगभग 2,46,000 करोड़ रुपये इन योजनाओं पर खर्च किए जा रहे हैं।
हालांकि सरकार ने कर की दरों में कोई बदलाव नहीं किया, जो चुनाव से पहले लगाई जा रही अटकलों के ठीक उलट था। लेकिन उसने जरूरी वस्तुओं की कीमतों में हो रही बढ़ोतरी से अपने वोट बैंक को बचाने के लिए जरूर खजाने पर बोझ डाला।
सरकार का कहना है कि मंदी के दौर में यह जरूरी भी है। इसके अलावा छठे वेतन आयोग से भी वित्तीय बोझ बढ़ना तय है। दूसरी ओर मंदी और करों में राहत के पैकेजों की वजह से कर संग्रह का लक्ष्य भी चालू वित्त वर्ष के दौरान पूरा होता नहीं दिख रहा है।
पिछले साल के मुकाबले चालू वर्ष के दौरान कर संग्रह में महज 3.7 फीसदी इजाफा होने का अनुमान है। इस दोहरी मार यानी कर राजस्व में धीमा विकास और व्यय में बढ़ोतरी की वजह से वास्तविक वित्तीय घाटा बढ़ना लाजिमी है।
सरकार ने यह घाटा जीडीपी का केवल 2.5 फीसदी होने का अनुमान व्यक्त किया था, लेकिन अब यह 7.8 फीसदी के आंकड़े तक पहुंच रहा है। इसमें 1.8 फीसदी तो तेल और उर्वरक पर सब्सिडी के बदले जारी होने वाली प्रतिभूतियां ही हैं।
लेकिन सवाल है कि यह पैसा गया कहां? इसमें से सबसे बड़ा हिस्सा पेट्रोलियम पदार्थों और उर्वरकों पर सब्सिडी देने में खर्च हुआ है। सरकार के मुताबिक यह रकम जीडीपी का 2.8 फीसदी हिस्सा यानी तकरीबन 1,53,754 करोड़ रुपये है, जो आम आदमी को तेल की कीमतों में आए उछाल से बचाने में खर्च हुई थी।
नोटों की दूसरी गड्डी छठे वेतन आयोग की भेंट चढ़ी है। इसके तहत 45 लाख सरकारी कर्मचारियों के वेतन और और 38 लाख पेंशनभोगियों को राहत दी जा रही है।
लेकिन इसकी वजह से वेतन और पेंशन पर कुल खर्च 47,503 करोड़ रुपये हो रहा है, जिसमें से 27,459 करोड़ रुपये तो बकाया भुगतान पर ही खर्च हो रहे हैं।
तीसरा बड़ा खर्च कृषि ऋण माफी पर किया गया है। इसमें चालू वित्त वर्ष के दौरान 25,000 करोड़ रुपये का बोझ राजकोष पर पड़ा है। अगले साल भी इसमें 15,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाने हैं। 3 करोड़ 60 लाख किसान परिवारों का कुल 65,300 करोड़ रुपये का ऋण माफ किया गया है।
खजाने पर चौथा भारी बोझ पंचवर्षीय योजनाओं के कार्यक्रमों से पड़ा है। इन कार्यक्रमों पर लगभग 40,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च हो रहा है। इनके अलावा ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना और रक्षा पर अतिरिक्त खर्च भी खजाने की सेहत बिगाड़ने का काम कर रहे हैं।
ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना पर खर्च इस साल कमोबेश दोगुना कर दिया गया है और इसे 14,400 करोड़ रुपये तक पहुंचा दिया गया है। इसमें साढ़े तीन करोड़ परिवारों को शामिल किया गया है। सरकार ने रक्षा बजट भी बढ़ाकर 16,000 करोड़ रुपये कर दिया है। इसमें 9,000 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है।
तमाम खर्च बढ़ने के बावजूद सरकार को अगले वित्त वर्ष में जीडीपी विकास की दर 11 फीसदी रहने की उम्मीद है(इसमें 7 फीसदी वास्तविक विकास और 4 फीसदी मुद्रास्फीति शामिल है), लेकिन कर राजस्व में सरकार ने महज 8.4 फीसदी इजाफे का लक्ष्य निर्धारित किया है।
इसमें भी सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी की दर तो सरकार ने महज 2 फीसदी रखी है और सेवा कर में 6 फीसदी बढ़त की उसे उम्मीद है। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने इस पर सफाई भी दी।
उन्होंने कहा कि जीडीपी में विकास उन क्षेत्रों से होने की उम्मीद है, जो उत्पाद शुल्क और सेवा कर नहीं देते हैं, इसलिए इनमें इजाफे के लक्ष्य कम ही रखे गए हैं।
कैसे बढ़ेगा घाटा
पेट्रोलियम और उर्वरक सब्सिडी पर 1,53,754 करोड़ रुपये खर्च
वेतन-पेंशन में 47,503 करोड़ रुपये का खर्च
किसान ऋण माफी पर 25,000 करोड़ रुपये हुए खर्च
तमाम शुल्कों में इजाफे का लक्ष्य सरकार ने कर दिया कम
बजट में क्या हैं खुशखबरी
वस्त्र उद्योग
संकट में फंसे वस्त्र उद्योग को उबारेगी सरकार
31 मार्च से 30 सितंबर 2009 तक लदान पूर्व तथा लदान बाद ऋण पर 2 फीसदी ब्याज सहायता
सेहतमंद बैंक
सरकारी बैंकों को पूंजी देने का सरकार ने किया ऐलान
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के लिए सरकार की 632 करोड़ रुपये खर्चने की योजना
खेती-किसान
किसानों के लिए ब्याज सहायता योजना जारी
3 लाख रुपये तक के लघु अवधि फसल ऋण के लिए ब्याज सहायता योजना जारी रखने का ऐलान
रोजगार
सालाना 1.2 करोड़ रोजगार सृजन का लक्ष्य
रोजगार गारंटी योजना के तहत इसके लिए 30,100 करोड़ रुपये का प्रावधान
अंतरिम बजट 2009-10
बजट में क्या है खास
आम आदमी को मायूस करते हुए कर ढांचे में प्रणव ने नहीं की कोई छेड़छाड़, आयकर में राहत नहीं, कहा अंतरिम बजट में ऐसा करना सही नहीं
अलबत्ता वित्त मंत्री ने यह जरूर कहा कि कर की दरें घटनी चाहिए और दोबारा सरकार में आने पर ऐसा होगा
मंदी के चलते राजस्व घाटा जीडीपी का 4 फीसदी और राजकोषीय घाटा 5.5 फीसदी रहने का अनुमान
बजट में क्या है खास
सरकार ने 3 जी नीलामी अगले वित्त वर्ष के लिए टाली, नीलामी से 20,000 करोड़ रुपये की कमाई होने की सरकार को उम्मीद, पहले के अनुमान से कम
मुंबई हमले देखकर बढ़ाया रक्षा बजट, खर्च होगी 1,47,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम
राष्ट्रमंडल खेलों के लिए दिल्ली को दिया अतिरिक्त पैसा, मिली 2,360 करोड़ रुपये की रकम