केंद्र सरकार द्वारा सकल बाजार उधारी के आंकड़ों में उम्मीद से अधिक बढ़ोतरी की आस में बॉन्ड प्रतिफल में उल्लेखनीय तेजी आई है। केंद्रीय बजट में अगले वित्त वर्ष के दौरान सकल बाजार उधारी के लिए 14.95 लाख करोड़ रुपये का अनुमान जाहिर किए जाने से उत्साहित दस वर्षीय बॉन्ड प्रतिफल 6.85 फीसदी पर बंद हुआ जो इससे पहले 6.68 फीसदी पर बंद हुआ था।
सरकार अगले वित्त वर्ष के दौरान लघु बचत मद में 5.67 लाख करोड़ रुपये जुटाएगी जबकि चालू वित्त वर्ष के दौरान यह आंकड़ा 6.78 लाख करोड़ रुपये रहा। इससे सरकार को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 6.4 फीसदी पर राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
साल 2022-23 में शुद्ध उधारी 11.19 लाख करोड़ रुपये होगी जो इस वित्त वर्ष के लिए 7.76 लाख करोड़ रुपये रही। फिलहाल आंकड़े बाजार की अपेक्षाओं से कहीं अधिक 10 से 13 लाख करोड़ रुपये के दायरे में हैं। उधारी के आंकड़ों में तेजी से आरबीआई कर भूमिका में नए सिरे से संतुलन स्थापित होगा। ऐसे में समावेशी नीतियों के लिए मार्ग प्रशस्त होगा। आरबीआई द्वारा नकदी प्रवाह को छोडऩे के कारण बॉन्ड प्रतिफल में पहले ही काफी तेजी आ चुकी है।
अब आरबीआई के सक्रिय सहयोग के बिना प्रतिफल में तेजी दिख सकती है। इससे वैश्विक महामारी के बाद उधारी लागत को कम रखते हुए वृद्धि को रफ्तार देने संबंधी आरबीआई की कोशिश बेकार हो सकती है। हालांकि यदि आरबीआई बॉन्ड की खरीदारी करता है तो प्रणाली में नकदी प्रवाह बढ़ेगा।
बैंक ऑफ अमेरिका के ट्रेजरी प्रमुख जयेश मेहता ने कहा, ‘ये आंकड़े काफी चुनौतीपूर्ण हैं। इस प्रकार की उधारी के लिए बॉन्ड बाजार को अतिरिक्त खरीदार की आवश्यकता होगी। ऐसे में आरबीआई प्रतिफल और उधारी कार्यक्रम के प्रबंधन के लिए अभिनव तरीके तलाशने की कोशिश कर सकता है।’
टाटा एआईए लाइफ इंश्योरेंस के मुख्य निवेश अधिकारी हर्षद पाटिल ने कहा, ‘सकल उधारी का आंकड़ा बाजार की उम्मीदों से कहीं अधिक था।’ उन्होंने कहा, ‘निर्धारित आय वाले बाजार को आगामी दिनों में इसके लिए वित्तीय ढांचे के संबंध में कहीं अधिक स्पष्टता की दरकार होगी।’ आगामी दिनों में प्रतिफल पर दबाव बरकरार रहने के आसार हैं लेकिन यह सब आरबीआई के रुख पर निर्भर करेगा। अन्यथा 10 वर्षीय प्रतिफल 7.50 फीसदी को पार कर सकता है।