वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में स्वास्थ्य एवं ढांचागत क्षेत्रों पर विशेष जोर रह सकता है। अगला बजट ऐसे समय में पेश होगा जब कोविड-19 महामारी की वजह से अर्थव्यवस्था बदहाल होगी और सरकार के राजस्व का पिटारा नुकसान से खाली रहेगा। समझा जा रहा है कि अगले वित्त वर्ष के बजट में कोविड-19 के टीके पर आने वाले खर्च सहित स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए चालू वित्त वर्ष की तुलना में आवंटन 50 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है। सरकार ढांचागत क्षेत्र के लिए भी बड़ी रकम का आवंटन कर सकती है। सरकार ने वर्ष 2024 तक ढांचागत क्षेत्र में 111 लाख करोड़ रुपये निवेश करने का लक्ष्य रखा है, इस वजह से बजट में इस मद में आवंटन बढ़ाया जा सकता है।
अगले वित्त वर्ष के बजट पर एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘हम पहले से कहते आ रहे हैं कोविड-19 के टीके के लिए बजट में कोई कमी नहीं रखी जाएगी। मौजूदा महामारी के मद्देनजर स्वास्थ्य क्षेत्र पर सरकार का खासा जोर रहेगा। इसमें कोई दो राय नहीं कि बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए आवंटन में इजाफा किया जाएगा। बात केवल टीके तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसे लोगों तक पहुंचाने और इसके रखरखाव एवं वितरण के लिए भी मोटी रकम की जरूरत होगी। हमने इस दिशा में शुरुआती आकलन किया है और टीके से जुड़ी पूरी प्रक्रिया को अंजाम तक पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।’
अधिकारी ने कहा कि ढांचागत क्षेत्र भी सरकार की प्राथमिकताओं की सूची में बना रहेगा। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में पूंजीगत व्यय के कई लाभ मिलते हैं और मौजूदा परिदृश्य में अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए अधिक से अधिक निवेश की जरूरत है। समझा जा रहा है कि 15वें वित्त आयोग ने भी स्वास्थ्य क्षेत्र पर केंद्र एवं राज्य द्वारा आवंटन बढ़ाए जाने की सिफारिश की है। सूत्रों के आयोग ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 के प्रावधानों के अनुसार स्वास्थ्य पर सकल घरेलू उत्पाद(जीडीपी)का 2.5 प्रतिशत हिस्सा खर्च किए जाने की सिफारिश की है। इस समय स्वास्थ्य क्षेत्र पर जीडीपी का महज 0.9 प्रतिशत ही खर्च किया जाता है। इनमें 0.6 प्रतिशत हिस्सा राज्यों और करीब 0.3 प्रतिशत हिस्सा केंद्र के माध्यम से आता है। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को आवंटित कुल 67,111 करोड़ रुपये में करीब 58 प्रतिशत हिस्सा खर्च हुआ है। इनमें स्वास्थ्य शोध विभाग कुल आवंटित 2,100 करोड़ रुपये से 7 प्रतिशत अधिक खर्च कर चुका है, जबकि पिछले वर्ष इस अवधि तक विभाग ने लगभग आधी रकम का ही इस्तेमाल किया था। सितंबर तक स्वास्थ्य शोध विभाग ने 2,248 करोड़ रुपये व्यय कर चुका था। इस महीने के शुरू में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोविड-19 से प्रभावित अर्थव्यवस्था के लिए तीसरे प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की थी। वित्त मंत्री ने इनमें कोविड-19 के टीके पर शोध एवं इसके विकास के लिए 900 करोड़ रुपये आवंटित करने की घोषणा की थी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने टीके के खर्च एवं इसके वितरण में इस्तेमाल होने वाले साधनों के लिए अलग से रकम का बंदोबस्त करने की बात कही थी। सीतारमण ने कहा था कि सरकार टीके पर आने वाली वास्तविक लागत एवं इसके रखरखाव एवंवितरण के लिए रकम देने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा था, ‘टीका तैयार करने और इसे लोगों तक पहुंचाने के लिए जितनी रकम की आवश्यकता होगी सरकार वह मुहैया कराने के लिए तरह तैयार है।’
वित्त मंत्रालय ने पिछले सप्ताह वित्त वर्ष 2021-22 के बजट के लिए सुझाव आमंत्रित किए थे। विशेषज्ञों एवं विभिन्न संस्थानों से सुझाव आमंत्रित करने के लिए मंत्रालय ने एक विशेष ई-मेल सेवा शुरू की थी। बजट में संभावित प्रावधानों पर इक्रा रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री आदिति नायार ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2022 के बजट में स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा एवं पूंजीगत व्यय पर अधिक ध्यान दिया जा सकता है। तत्काल तो सरकार के लिए राजकोषीय घाटा नियंत्रित करने का लक्ष्य 4 प्रतिशत से नीचे लाना आसान नहीं दिख रहा है। दूसरी तरफ अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए पूंजीगत व्यय में निश्चित तौर पर इजाफा किया जाना चाहिए।’
