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केंद्र सरकार पूंजीगत व्यय के लिए राज्यों को देगी ब्याज मुक्त कर्ज

Last Updated- December 11, 2022 | 9:29 PM IST

केंद्रीय बजट 2022-23 में राज्यों को 1 लाख करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त पूंजीगत व्यय ऋण देने की बात कही गई है जिसको लेकर राज्य खुश हो सकते हैं लेकिन इसके साथ ही राज्यों को धन की हिस्सेदारी के स्थानांतरण और केंद्र से प्रायोजित योजनाओं के लिए रकम देने के मामले में मुट्ठी को बंद कर लिया गया है। इसके कारण अंतत: केंद्र से राज्यों को होने वाला नकदी प्रवाह  प्रभावित होगा।      
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) राजस्वों में कमी आने के कारण राज्यों को क्षतिपूर्ति के स्थान पर एक के बाद एक ऋण देने के सफल प्रयोग को भूनाते हुए केंद्र ने पिछले वर्ष राज्यों को पूंजीगत व्यय के लिए इसी तरह की ऋण सहायता मुहैया कराई थी। चालू वित्त वर्ष के लिए इसे 10,000 करोड़ रुपये से बढ़कार 15,000 करोड़ रुपये करने के बाद केंद्र ने वित्त वर्ष 2023 में राज्यों को 1 लाख करोड़ रुपये के ऐसे ऋण देने का वादा किया है।
राज्य इस प्रकार से मिलने वाले फंडों का इस्तेमाल पीएम गति शक्ति के तहत परियोजनाओं, बुनियादी ढांचे के विकास के लिए राष्ट्रीय मास्टर प्लान योजना के क्रियान्वयन के लिए कर सकते हैं। इसका इस्तेमाल ग्रामीण सड़कों, डिजिटलीकरण और बेहतर शहर नियोजन के लिए भी किया जा सकेगा।
इसके अलावा राज्य अब वित्त वर्ष 2023 में सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 4 फीसदी तक उधार ले सकेंगे लेकिन वे 3.5 फीसदी की सीमा को केवल तभी पार कर सकते हैं जब वे इसके तहत विद्युत क्षेत्र के सुधारों को तेज करने की प्रतिबद्घता जताएं।   
इस प्रावधान की घोषणा जून 2021 में ही हुई थी लेकिन अब तक केवल दो राज्यों आंध्र प्रदेश और राजस्थान के प्रस्तावों को स्वीकार किया गया है।
राज्यों ने मिलकर वित्त वर्ष 2021 में 4.6 फीसदी का राजकोषीय घाटा दर्ज किया जो कि संशोधित अनुमान है और चालू वित्त वर्ष में इसे 3.7 फीसदी पर रखने का अनुमान लगाया है।     
भले ही राज्यों को किया जाने वाला अंतरण इस वर्ष और वित्त वर्ष 2023 में बढ़ रहा है लेकिन राज्यों को 15वें वित्त आयोग द्वारा की गई 41 फीसदी अंतरण की सिफारिश से कम मिला है।

First Published - February 1, 2022 | 11:26 PM IST

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