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पूंजीगत व्यय 34.5 प्रतिशत बढ़ाकर 5.54 लाख करोड़ रुपये

Last Updated- December 12, 2022 | 8:57 AM IST

सरकार ने देश में बुनियादी अवसंरचना के सृजन के जरिये आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये वित्त वर्ष 2021-22 में पूंजीगत व्यय को 34.5 प्रतिशत बढ़ाकर 5.5 लाख करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव किया है। चालू वित्त वर्ष के लिये पूंजीगत व्यय को 4.12 लाख करोड़ रुपये के बजट अनुमान से बढ़ाकर 4.39 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया गया है। सीतारमण ने बजट भाषण में कहा, ‘2020-21 में पूंजीगत व्यय तेज किया गया है। हमने पूंजीगत व्यय के लिये 4.12 लाख करोड़ रुपये दिये थे। संसाधनों में कमी के बाद भी हमारा प्रयास रहा कि पूंजीगत व्यय को तेज करें। हम इस वित्त वर्ष में करीब 4.39 लाख करोड़ रुपये खर्च करने वाले हैं। हमने यह 2020-21 के लिये संशोधित बजट में यह प्रावधान किया है।’ 
वित्त मंत्री ने अगले वित्त वर्ष के लिये पूंजीगत व्यय को और बढ़ाते हुए 5.54 लाख करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव रखा। यह 2020-21 के 4.12 लाख करोड़ रुपये के बजट अनुमान से 34.5 प्रतिशत अधिक है। उन्होंने कहा, ‘इसमें से मैंने 44 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि आर्थिक मामलों के विभाग के लिये अलग रखा है। यह पूंजीगत व्यय के मोर्चे पर बेहतर प्रदर्शन करने वाले और जरूरतमंद विभागों को दिया जायेगा।’ उन्होंने कहा कि इस व्यय से ऊपर सरकार राज्यों और स्वायत्त निकायों को व्यय के लिये दो लाख करोड़ रुपये से अधिक देगी। उन्होंने कहा, ‘‘हम बुनियादी संरचना के सृजन पर राज्यों को अधिक खर्च करने के लिये प्रेरित करने की विशेष व्यवस्था करने पर भी काम करेंगे।’

आगामी जनगणना के लिए 3,726 करोड़ रुपये आवंटित :सीतारमण 
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि सरकार ने आगामी जनगणना के लिए 3,726 करोड़ रुपये आवंटित किये हैं और पहली बार देश में डिजिटल जनगणना होगी। वित्त मंत्री ने 2021-22 के लिए आम बजट प्रस्तुत करते हुए कहा कि सरकार एक राष्ट्रीय भाषा अनुवाद पहल पर भी काम कर रही है। सीतारमण ने पांच साल में 4,000 करोड़ रुपये से अधिक के परिव्यय के साथ गहरे महासागर में मिशन के परिचालन की भी घोषणा की। उन्होंने कहा कि सरकार ने संविदा विवादों के त्वरित निस्तारण के लिए सुलह की प्रणाली स्थापित की है। सीतारमण ने कहा कि सरकार ने नेशनल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी कमीशन विधेयक लाने का भी प्रस्ताव रखा है। 

बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा 49 से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने का प्रस्ताव 
सरकार ने बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश(एफडीआई) की सीमा को बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया है। इस कदम का उद्देश्य विदेशी कंपनियों को निवेश के लिए आकर्षित करना है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को पहली बार कागज रहित बजट पेश करते कहा कि सभी वित्तीय उत्पादों के लिए निवेशक चार्टर पेश किया जाएगा। यह सभी वित्तीय निवेशकों का अधिकार होगा। उन्होंने बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा को 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने तथा रक्षोपाय के साथ विदेशी भागीदारी तथा नियंत्रण की अनुमति के लिए बीमा अधिनियम-1938 में संशोधन का प्रस्ताव किया। आम बजट 2021-22 पेश करते हुए सीतारमण ने कहा कि नए ढांचे के तहत ज्यादातर निदेशक और बोर्ड तथा प्रबंधन स्तर के अधिकारी निवासी भारतीय होंगे। कम से कम 50 प्रतिशत निदेशक स्वतंत्र निदेशक होंगे। इसके अलावा मुनाफे का एक निश्चित प्रतिशत सामान्य आरक्षित निधि के रूप में रखा जाएगा। 

First Published - February 1, 2021 | 4:11 PM IST

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