कारोबारियों को आम बजट रास नहीं आया है। कारोबारियों का कहना है कि बजट में फैक्टरी/ कंपनी प्रारूप वाले खासकर छोटे उद्यमियों को राहत पहुंचाने वाले कई अहम प्रावधान किए गए हैं। लेकिन फर्म /दुकान वाले कारोबारियों को बजट में खास राहत नहीं दी गई है, जबकि इन कारोबारियों को भी कोरोना के कारण काफी नुकसान हुआ है।
भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के महामंत्री हेमंत गुप्ता ने कहा कि कोरोना काल में फैक्टरियां तो फिर भी खुली रहीं, लेकिन दुकानों पर सख्ती ज्यादा हुई इसलिए कोरोना की सबसे ज्यादा मार दुकान वाले कारोबारियों के कारोबार पर पड़ी। लिहाजा सरकार को इस आम बजट में इन कारोबारियों को सबसे ज्यादा ख्याल रखना चाहिए। लेकिन बजट में कारोबारियों को सीधे तौर पर कोई राहत नहीं दी गई। बजट में जिस तरह से आयकर रिटर्न में संशोधन करने के लिए दो साल तक की मोहलत दी है, उसी तर्ज पर अगर जीएसटी में संशोधन की मोहलत मिलती तो कारोबारियों को बड़ी राहत मिलती। दिल्ली व्यापार महासंघ के अध्यक्ष देवराज बवेजा कहते हैं कि फैक्टरी कंपनी वाले उद्यमियों को तो 22 फीसदी कॉरपोरेट कर देना पड़ता है, जबकि फर्म दुकान वाले कारोबारियों को 30 फीसदी की दर से कर देना होता है। इस विसंगति को सुधार कर कोरोना की मार झेल रहे कारोबारियों को राहत दी जा सकती थी। चैंबर ऑफ ट्रेड ऐंड इंडस्ट्री के चेयरमैन बृजेश गोयल ने कहा कारोबारियों की मांग थी कि आयकर में 5 फीसदी और 20 फीसदी के बीच में 10 फीसदी का स्लैब भी होना चाहिए, जो बजट में पूरी नहीं हुई। बजट में कॉर्पोरेट क्षेत्र के लिए कई घोषणाएं की गई हैं, जबकि आम कारोबारियों पर ध्यान नहीं दिया।
कन्फेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स के महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि जीएसटी कर ढांचे के सरलीकरण और युक्तिकरण के संबंध में कुछ भी ठोस घोषणा नहीं की गई है जो ‘एक बाजार-एक कर’ के सिद्धांत के विपरीत है। हालांकि बजट में 5 लाख करोड़ रुपये के साथ आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) योजना के विस्तार, पीएलआई योजना को विभिन्न क्षेत्रों से जोडऩे सहित कई नई घोषणाओं से छोटी विनिर्माण इकाइयों को लाभ होगा।