केंद्र सरकार राज्यों को 5000 से 6000 करोड रुपये की बजट सहायता दे सकती है। यह रकम केंद्रीय बिक्री कर को 3 प्रतिशत से घटाकर 2 प्रतिशत करने पर होने वाले राजस्व घाटे की भरपाई के लिए दी जा सकती है। इसके अलावा राज्यों को कुछ और सेवाओं पर कर वसूलने की अनुमति मिल सकती है।
सूत्रों के मुताबिक राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति ने इस बाबत वित्त मंत्रालय से सिफारिश की है।
राज्यों ने दवा, कृषि और औद्योगिक सामान सहित 250 से ज्यादा वस्तुओं पर मूल्य-वर्द्धित कर (वैट) में वृद्धि करने से इनकार कर दिया है। दरअसल केंद्रीय बिक्री कर की कमी से होने वाले घाटे की भरपाई करने के लिए वैट को 4 से 5 प्रतिशत करने की बात कही गई थी। राज्यों ने टेक्सटाइल और चीनी पर वैट लगाने के वित्त मंत्रालय के सुझाव को भी नजरअंदाज कर दिया।
अनुमान लगाया जा रहा है कि केंद्रीय बिक्री कर में कटौती से राज्यों को 2008-09 में 12,000 से 13,000 करोड़ रुपये का घाटा होगा। राज्य सरकारें चाहती हैं कि तंबाकू और अंतरराज्यीय खरीद जैसे क्षेत्र भी उनके जिम्मे आए ताकि इन घाटों की आसानी से भरपाई संभव हो सके। राज्यों को उम्मीद है कि 33 क्षेत्रों से उसे 3,000 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे और अगर सरकारी विभागों की खरीद पर लग रहे वैट को शामिल कर लिया जाए तो 1500 करोड़ रुपये की उगाही संभव हो पाएगी। अगर तंबाकू पर वैट लगाने का अधिकार भी राज्य को मिले तो एक बड़ी रकम आएगी।
वर्ष 2007-08 के बजट में जब इस बिक्री कर को 4 से घटाकर 3 प्रतिशत किया गया था, तब सरकार ने 2500 करोड़ रुपये की बजट सहायता दी थी। केंद्र सरकार अंतरराज्यीय लेनदेन पर कर लगाती है और इसके जरिये उसे राज्यों से राजस्व की प्राप्ति होती है।
वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक राज्यों ने 2008 में वैट की दर बढाने और टेक्सटाइल पर वैट लगाने की बात स्वीकार कर ली थी, लेकिन बाद में वे इससे मुकर गए। राज्य इस संदर्भ में एक बड़े मोल-भाव से प्रेरित लगती है। एक तरफ तो 2007-08 में उसके राजस्व में 15 से 20 प्रतिशत का इजाफा हुआ और दूसरी तरफ वे कर की दरों में चुनाव के मद्देनजर किसी भी प्रकार की बढ़ोतरी नहीं करना चाहती। ऐसे भी बहुत सारे राज्यों में चुनाव होने हैं।
जैसा कि अप्रैल 2010 सामान और सेवा कर लगना शुरू हो जाएगा, राज्य चाहती है कि 2008-09 तक केंद्र इन करों की वसूली करे और इसके बाद इसका अधिकार उन्हें मिल जाए। उम्मीद की जा रही है कि माल और सेवा कर, जो 2010 से लागू होना है, के बारे में तैयारी के मानक इस बजट में पेश कर दें।