वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जुलाई 2024 में जब नरेंद्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट पेश किया था तब से अब तक भारतीय अर्थव्यवस्था की तस्वीर काफी बदल चुकी है। उस समय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के वित्त वर्ष 2023-24 के आंकड़े ही आए थे, जिनके मुताबिक उसमें 8.2 फीसदी वृद्धि हुई थी। मगर उसके बाद अर्थव्यवस्था की रफ्तार सुस्त हो गई है और मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही में यह केवल 6 फीसदी बढ़ी। समूचे वित्त वर्ष के लिए भी केवल 6.4 फीसदी वृद्धि का अनुमान जताया गया है। ऐसे में सीतारमण लगातार आठवां बजट पेश करने का रिकॉर्ड बनाने उठीं तो उन्होंने कई मोर्चों पर अच्छी खबरें दीं। वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए कई उपाय किए गए, जिनमें कारोबारी सुगमता की जुगत से लेकर निजी आयकर में भारी राहत जैसे कई प्रस्ताव किए गए हैं।
बजट में अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने वाले चार इंजनों – कृषि, एमएसएमई, निवेश और निर्यात पर ध्यान दिया गया है। मगर सबसे खास रहा महंगाई के बोझ तले दबे मध्यवर्गीय करदाताओं को राहत। बजट प्रस्ताव के मुताबिक 12 लाख रुपये तक सालाना कमाई पर आयकर नहीं लगेगा। अलबत्ता यह राहत केवल नई कर प्रणाली के तहत है, जिसमें कर स्लैब भी बदले गए हैं। वित्त मंत्री के मुताबिक इसमें 12 लाख रुपये तक की आय वाले करदाताओं को अब 80,000 रुपये तक नहीं चुकाने होंगे। अधिक आय यानी ऊंचे कर स्लैब वालों को भी फायदा होगा। उदाहरण के लिए सालाना 25 लाख रुपये तक की आय वाले करदाताओं के कर में 1.10 लाख रुपये बचेंगे। इस छूट से सरकारी खजाने पर करीब 1 लाख करोड़ रुपये की चोट पड़ेगी।
कर राहत देने के इस प्रस्ताव का असर शेयर बाजार में भी देखा गया और खपत पर चलने वाली कंपनियों पर निवेशकों का दुलार उमड़ पड़ा। मारुति सुजूकी का शेयर करीब 5 फीसदी चढ़ गया, जबकि बेंचमार्क सूचकांक सपाट ही रहे। सरकार कर भुगतान आसान बनाने और कर कानूनों को सरल बनाने के लिए अगले हफ्ते संसद में नया आयकर विधेयक भी पेश करेगी।
सरकार ने करदाताओं को राहत तो दी मगर सरकारी खजाने को अनदेखा नहीं किया। चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 4.8 फीसदी रहने का अनुमान है, जबकि पिछले बजट में इसका आंकड़ा 4.9 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था। अगले वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटा जीडीपी के 4.4 फीसदी पर सिमटने का अनुमान लगाया गया है। ऐसा हुआ तो सरकार का 2021-22 के बजट में किया वादा पूरा हो जाएगा। उस समय सीतारमण ने कहा था कि सरकार राजकोषीय घाटे को कम करते हुए 2025-26 तक जीडीपी के 4.5 फीसदी से नीचे लाना चाहती है। कोविड महामारी से होने वाली समस्याओं की वजह से वित्त वर्ष 2020-21 में राजकोषीय घाटा बढ़कर जीडीपी के 9.2 फीसदी तक पहुंच गया था।