गुजरात इंटरनैशनल फाइनैंस टेक–सिटी (गिफ्ट) को नई गति प्रदान करने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2023-24 के केंद्रीय बजट में अधिग्रहण की फाइनैंसिंग, चिह्नित ऑफशोर डेरिवेटिव उपायों को इजाजत दी तथा मंजूरियों के लिए एकल खिलड़की पंजीयन की व्यवस्था की बात कही।
बजट में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों यानी (IFSC) में स्थापित विदेशी बैंकों की इकाइयों द्वारा अधिग्रहण की फाइनैंसिंग की व्यवस्था की गई। इस कदम से बाहरी विलय एवं अधिग्रहण की फाइनैंसिंग की लागत कम होगी। मौजूदा नियमन के अधीन भारतीय बैंक और भारत में स्थित विदेशी बैंकों की शाखाओं को शेयरों के अधिग्रहण की फाइनैंसिंग की इजाजत नहीं है।
खेतान ऐंड कंपनी के साझेदार सिद्धार्थ शाह ने बताया, ‘बजट में विदेशी बैंकों की ऑफशोर इकाइयों पर लगे प्रतिबंधों को शिथिल करने का प्रस्ताव रखा गया है जिससे गिफ्ट सिटी उन विदेशी वित्तीय केंद्रों के प्रतिस्पर्धी और समकक्ष हो गई है जहां ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है। बहरहाल, ऐसा साफ प्रतीत होता है कि गिफ्ट सिटी में भारतीय बैंकों की इकाइयों को शायद अभी भी छूट का लाभ न मिल सके जिससे फिलहाल वे अवसर गंवा बैठें।’
एक अन्य बड़ी राहत में सीतारमण ने कहा कि ऑफशोर डेरिवेटिव उपाय जिन्हें पार्टिसिपेटरी नोट्स (पी–नोट्स) के नाम से भी जाना जाता है, उन्हें वैध अनुबंध माना जाएगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम विदेशी बैंकों को उन विदेशी निवेशकों के लिए गिफ्ट सिटी के जरिए पी–नोट अनुबंध जारी करने में सक्षम बनाएगा जो यहां के बाजार में भाग लेना चाहते हैं। फिलहाल ऐसे अनुबंध मोटे तौर पर मॉरीशस और लक्जमबर्ग जैसे कर अनुकूल देशों में चले जाते हैं। कुछ विशेषज्ञ कहते हैं कि पी–नोट्स को गिफ्ट सिटी के जरिए पहले ही इजाजत मिली हुई थी लेकिन फिर भी बजट ने एक अहम बाधा दूर की है।
डेलॉइट के साझेदार राजेश गांधी ने कहा, ‘पी–नोट्स में प्रस्तावित बदलाव एक स्पष्टीकरण है कि ऑफशोर बैंकिंग इकाइयों द्वारा निवेशकों को वितरित की गई आय पर कर नहीं लगेगा और इस प्रकार वे दोहरे कराधन से बचेंगे। गिफ्ट सिटी के जरिये होने वाले ओडीआई निवेश को न तो विस्तारित किया गया है और न ही संशोधित।’
दिसंबर 2022 तक पी–नोट्स धारकों का घरेलू शेयरों, डेट तथा अन्य हाइब्रिड उपायों में जोखिम करीब 96,000 करोड़ रुपये था। बजट में उठाया गया कदम बैंकों के लिए बड़ा अवसर हो सकता है जो गिफ्ट सिटी के माध्यम से इन अनुबंधों को दोबारा जारी कर सकते हैं।
बेसिज फंड सर्विसेज के संस्थापक सीए आदित्य सेष ने कहा, ‘ऐसे नॉन डिलिवरेबल फॉरवर्ड हैं जिनका दुबई में कारोबार होता है किंतु भारत में कभी नहीं हुआ। ऐसे कुछ अन्य उपाय भी हैं जिनका भारत में कारोबार नहीं होता लेकिन छद्म रूप में वे भारतीय मुद्रा को प्रभावित करते हैं। उन सौदों को अब गिफ्ट में पूरा किया जा सकता है।’
आईएफएससी को बढ़ावा देने वाले अन्य उपायों में वित्त मंत्री ने एकल खिड़की आईटी व्यवस्था की घोषणा की जहां कई वित्तीय नियामकों मसलन आईएफएससीए, एसईजेड, वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन), भारतीय रिजर्व बैंक, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) तथा भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण यानी आईआरडीए से संबंधित पंजीयन और मंजूरियां पाई जा सकती हैं। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि व्यापार की रीफाइनैंसिंग के लिए गिफ्ट आईएफएससी में एक्सपोर्ट–इंपोर्ट बैंक यानी एक्जिम बैंक का एक अनुषंगी भी स्थापित किया जाएगा।
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गिफ्ट सिटी के प्रबंध निदेशक और सीईओ तपन राय ने कहा, ‘एक्जिम बैंक के अनुषंगी बैंक की स्थापना से गिफ्ट सिटी में जहाजरानी और विमानन जैसे उभरते क्षेत्रों में फाइनैंसिंग की गतिविधियों को मदद मिलेगी।’
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि आईएफएससीए अधिनियम में संशोधन करके मध्यस्थता आदि के सांविधिक प्रावधान शामिल किए जाएंगे और एसईजेड अधिनियम के तहत दोहरे नियमन से बचा जाएगा। इसके अलावा गिफ्ट सिटी में स्थानांतरित होने वाले फंड्स को कर लाभ मार्च 2025 तक बढ़ा दिया गया है।