मंत्रिसमूह द्वारा 5 और 18 प्रतिशत की नई वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था को मंजूर किए जाने तथा 12 और 28 प्रतिशत का स्लैब खत्म करने से वाहन कंपनियां इसके तत्काल प्रभाव को लेकर बंटी हुई दिखती हैं। कई कंपनियों को डर है कि जीएसटी परिषद की अंतिम मंजूरी मिलने तक ग्राहक कारों और दोपहिया वाहनों की खरीद टाल सकते हैं, जिससे उन्हें फायदा मिल सकता है।
मारुति सुजूकी इंडिया के चेयरमैन आरसी भार्गव ने कहा कि वर्तमान में कारों पर 28 प्रतिशत जीएसटी है और बड़ी कारों की खरीद पर उपकर लगने से कुल बोझ 40 से 45 प्रतिशत हो जाता है। उन्होंने कहा, ‘अब केवल दो स्लैब होने से जीएसटी तार्किक रूप से 18 प्रतिशत रह जाता है। लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि बड़ी कारों पर उपकर रहेगा या नहीं। अगर इसे हटा दिया जाता है तो छोटी और बड़ी कारों पर एक ही जीएसटी लगेगा। अभी छूट काफी ज्यादा है। इसलिए जीएसटी की चर्चा के बावजूद लोग खरीदारी कर रहे हैं। यह कहना अभी जल्दबाजी होगा कि खरीदारी स्थगित होने से बिक्री पर वाकई असर पड़ेगा या नहीं।’
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भार्गव ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि जीएसटी परिषद लंबे समय तक अनिश्चितता से बचने के लिए जल्द ही अंतिम निर्णय लेगी। हालांकि विशेषज्ञ आगाह करते हैं कि अगर बड़ी कारों पर उपकर हटा दिया जाता है तो बड़ी कारों के मुकाबले छोटी कारों का आकर्षण कम हो जाएगा। फिर भी कई लोगों का मानना है कि इस बदलाव से इस क्षेत्र की कुल बिक्री बढ़ेगी। दोपहिया वाहन उद्योग अब भी बंटा हुआ है। बजाज ऑटो के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 15 अगस्त को प्रधानमंत्री के कम जीएसटी के ऐलान के बावजूद उन्हें ग्राहकों के खरीदारी में देरी करने का कोई संकेत नहीं दिखा है।