स्विट्जरलैंड, सिंगापुर और लंदन जैसे शहरों में नौकरी करने की वजह से उनकी बेटी को 15 वर्षों में नौ स्कूल बदलने पड़े। सोमवार को टाटा मोटर्स के स्वामित्व वाली लक्जरी कार कंपनी जगुआर लैंड रोवर (जेएलआर) के पहले भारतीय मुख्य कार्य अधिकारी (सीईओ) बनने वाले पतमदाई बालाचंद्रन बालाजी के व्यक्तिगत जीवन की यह महज एक झलक है।
मगर उनका जीवन बोर्डरूम में होने वाली बैठक और कारोबार की वृद्धि से कहीं ज्यादा है। 50 साल की आयु पार कर चुके बालाजी क्रिकेट को काफी चाहते हैं और विराट कोहली के प्रशंसक हैं। फिर भी वह अपनी व्यक्तिगत मान्यताओं के कारण भारत के क्रिकेट मैच नहीं देखते हैं। एक सच्चे भारतीय होने के नाते चेन्नई से ताल्लुक रखने वाले बालाजी से जब क्रिकेट के प्रति उनकी निष्ठा के बारे में पूछा जाता है वह पूरे जोश के साथ कहते हैं, ‘मैं चेन्नई सुपर किंग्स का समर्थन करता हूं, क्योंकि मैं चेन्नई (सीएसके) से हूं और इसलिए हमेशा सीएसके का प्रशंसक रहूंगा।’
उद्योग के अंदरूनी जानकारों का कहना है कि बालाजी का कार्यक्षेत्र काफी विविध रहा है। वह एक इंजीनियर थे, जिन्होंने वित्त की दुनिया में पांव पसारा। लेखा कार्यों का नेतृत्व करने से लेकर आपूर्ति श्रृंखला तक संभालने वाले बालाजी को कॉर्पोरेट जगत में अलग पहचान मिली है। एड्रियन मार्डेल के बाद बालाजी वाहन क्षेत्र की इस दिग्गज कंपनी की कमान संभालेंगे। मार्डेल इस साल 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त हो जाएंगे।
मगर टाटा समूह के लिए बालाजी नए नहीं हैं। करीब आठ साल पहले नवंबर 2017 में टाटा समूह के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने उन्हें टाटा मोटर्स में समूह मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) के तौर पर चुना था। बालाजी उस वक्त सेवानिवृत्त हो रहे सीएफओ सीआर रामकृष्णन का स्थान लिया था। चंद्रशेखरन ने जब उन्हें फोन किया था उस वक्त बालाजी हिंदुस्तान यूनिलीवर में सीएफओ थे।
अपने क्रिकेट के आदर्श विराट कोहली की स्ट्रेट ड्राइव को याद करते हुए बालाजी ने अपने त्यागपत्र में टाटा समूह की योजनाओं का जिक्र सीधे बल्ले से किया और इसे एक रोमांचक बाहरी अवसर की लाभ उठाने की दिशा में एक कदम बताया।
तब से उन्होंने टाटा मोटर्स में लागत कम करने, परिचालन अनुकूल करने और बाजार हिस्सेदारी के बजाय लाभकारी वृद्धि को चुनने जैसे कई रणनीतिक निर्णयों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनका करिश्मा सिर्फ टाटा मोटर्स तक ही सीमित नहीं है, बल्कि वह एयर इंडिया, टाइटन और टाटा कंज्यूमर के बोर्ड का भी हिस्सा रहे, जहां कंपनी ने एक योजनाकार के तौर पर उनकी विशेषज्ञता पूरी तरह भुनाया।
सीएफओ के तौर पर उनके कार्यकाल में ही टाटा मोटर्स ने वित्त वर्ष 2025 में अब तक का सबसे ज्यादा 4.38 लाख करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया और कंपनी का ऋण पूरी तरह खत्म हो गया। इसके अलावा, वह 2025 तक टाटा मोटर्स के दो स्वतंत्र तौर पर सूचीबद्ध संस्थाओं में डिमर्जर की योजना भी देख रहे हैं, जिसमें एक वाणिज्यिक वाहनों पर ध्यान देगी और दूसरी कंपनी का ध्यान यात्री वाहनों और जेएलआर पर रहेगा।
कंपनी चाहती है कि वह जेएलआर में भी इसी तरह की सफलता की कहानी दोहराए, क्योंकि वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में कंपनी की बिक्री गिर गई है। जगुआर के पुराने मॉडलों को बंद करने की योजना और अमेरिका में नए शुल्क के प्रभावी होने के बीच थोक (11 फीसदी की गिरावट) और खुदरा (15 फीसदी की गिरावट) दोनों कारोबार में गिरावट आई है।
बालाजी ने अपनी स्कूली शिक्षा तमिलनाडु में वेलूर के पास कालिंजर स्थित प्रतिष्ठित इडा स्कडर स्कूल से की। उनके पास दो प्रोसेस डिग्रियां हैं। उन्होंने 1991 बैच में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया और उसके बाद भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) कलकत्ता से वित्त एवं संचालन में पीजी डिप्लोमा किया।
इसके तुरंत बाद वह 1993 में हिंदुस्तान यूनिलीवर में प्रबंधन प्रशिक्षु के तौर पर शामिल हुए, जहां उन्होंने वित्त और आपूर्ति श्रृंखला सहित कई भूमिकाओं में काम किया। इसमें 2007 में सिंगापुर में उपाध्यक्ष (ट्रेजरी), 2009 में वित्त में उपाध्यक्ष, 2011 में लंदन में समूह मुख्य लेखाकार, 2013 में स्विट्जरलैंड में वित्त एवं अमेरिका आपूर्ति श्रृंखला में उपाध्यक्ष और 2014 में एचयूएल के मुख्य वित्तीय अधिकारी के रूप में मुंबई वापस आना शामिल है।