इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने और विनिर्माण (फेम-2) की समय सीमा नजदीक आने के साथ सरकार ने इसके लक्ष्य का 70 फीसदी (12.2 लाख) पूरा कर लिया है। सरकार ने मार्च 2019 में 17.40 से अधिक वाहनों को फेम- 2 सब्सिडी देने का लक्ष्य रखा था।
साल 2023 में हर महीने 1 लाख से अधिक इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री होने से केंद्र सरकार इसको लेकर आश्वस्त है कि तय मियाद यानी 31 मार्च 2024 से पहले लक्ष्य पूरा हो जाएगा।
भारी उद्योग मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने की बढ़ती दर को देखकर हम आश्वस्त हैं कि 17.40 लाख वाहनों को सब्सिडी देने के अपने लक्ष्य को जल्द पूरा कर लेंगे।’ साथ ही उन्होंने कहा कि जल्द ही इस मद में खर्च करने के लिए पैसे नहीं रहेंगे।
सरकार 26 दिसंबर तक योजना के लिए आवंटित 11,096 करोड़ रुपये में से 8,948 करोड़ रुपये यानी 81 फीसदी रकम खर्च कर चुकी है।
बिज़नेस स्टैंडर्ड को मिले मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि सबसे अधिक सफलता इलेक्ट्रिक बस (ई-बस) श्रेणी में देखी गई है। इसके विपरीत, इलेक्ट्रिक चार पहिया (ई4डब्ल्यू) खंड में सबसे कम सफलता दर्ज की गई। इसमें 30,461 गाड़ियों के लक्ष्य के विरुद्ध सिर्फ 51 फीसदी पर ही सब्सिडी दी गई।
इसी तरह 15.5 लाख इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों में 69 फीसदी को सब्सिडी का लाभ दिया गया। इलेक्ट्रिक तीन पहिया गाड़ियों के 1,55,536 के लक्ष्य के विरुद्ध 80 फीसदी गाड़ियों को सब्सिडी दी गई।
योजना को समयसीमा तक बरकरार रखने के लिए मंत्रालय ने दो कदम उठाए थे। पहले कदम के रूप में 1 जून से इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों पर 66 हजार रुपये की अधिकतम सब्सिडी को घटाकर 22,500 रुपये कर दिया गया और दूसरे कदम में वित्त मंत्रालय से अतिरिक्त 1,500 करोड़ रुपये लिया गया।
साथ ही 15.6 लाख वाहनों को सब्सिडी देने की बजाय इसे बढ़ाकर 17.40 लाख कर दिया गया। इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों का लक्ष्य 50 फीसदी बढ़ाकर 15.5 लाख कर दिया गया था जबकि इलेक्ट्रिक तीन पहिया वाहनों का लक्ष्य 68 फीसदी कम कर 1,55,536 कर दिया गया था। वहीं, इलेक्ट्रिक चार पहिया वाहनों का लक्ष्य भी 13 फीसदी कम कर 30,461 कर दिया गया था। बसों के लिए भी लक्ष्य 7,090 से बढ़ाकर 7,262 कर दिया गया था।