वाहन क्षेत्र की वैश्विक कंपनी टेस्ला द्वारा दक्षिण भारत के तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में अपनी विनिर्माण इकाई स्थापित करने के लिए जमीन की तलाश करने की खबर आई है। इस बीच उद्योग और सरकारी विशेषज्ञ इस बात का संकेत दे रहे हैं कि इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के बेहतर रूप से विकसित पारिस्थितिकी तंत्र और प्रीमियम वाहनों की बढ़ती मांग अमेरिका की इस लग्जरी कार विनिर्माता को इस क्षेत्र में आकर्षित कर रही है।
कंपनी महाराष्ट्र और गुजरात में भी जमीन तलाश रही है लेकिन विशेषज्ञों की बात पर भरोसा करें तो लक्जरी वाहन विनिर्माताओं की बढ़ती मांग का बड़ा हिस्सा दक्षिण भारत से आ रहा है। आंध्र प्रदेश सरकार के एक सूत्र ने कहा, ‘दक्षिण भारत में ईवी के लिए परिवेश और लक्जरी कारों की मांग सबसे ज्यादा है इसी वजह से टेस्ला हमसे बातचीत कर रही है।’ 2024 में दक्षिण भारत में लक्जरी श्रेणी के वाहनों की बिक्री में सबसे ज्यादा तेजी देखी गई और तमिलनाडु में 2022-23 की तुलना में प्रीमियम कार पंजीकरण में 19.3 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। बेंगलूर में भी पिछले साल अल्ट्रा-लक्जरी कार बाजार में 35 फीसदी का इजाफा हुआ है।
देश की इलेक्ट्रिक वाहनों की कुल बिक्री में 45 फीसदी हिस्सेदारी दक्षिण भारत की है। इसकी मुख्य वजह तमिलनाडु में मूल उपकरण विनिर्माताओं, कलपुर्जा आपूर्तिकर्ताओं और बैटरी विनिर्माण इकाइयों के लिए दमदार परिवेश की मौजूदगी है। फ्रॉस्ट ऐंड सुलिवन की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
यह केवल टेस्ला की ही बात नहीं है बल्कि वियतनाम की कंपनी विनफास्ट भी तमिलनाडु के तुत्तूकुडी में 2 अरब डॉलर के निवेश से कारखाना लगाने की प्रक्रिया में है और यह इसे वैश्विक निर्यात केंद्र में तब्दील करना चाहती है। बंदरगाहों की निकटता के कारण इसकी नजर पश्चिम एशिया और अफ्रीका जैसे बाजारों पर है। ईवी की महत्वाकांक्षा रखने वाली लगभग सभी कंपनियां दक्षिण भारत पर बड़ा दांव लगा रही हैं।
मर्सिडीज-बेंज इंडिया के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी संतोष अय्यर ने कहा, ‘दक्षिणी राज्य हमारे महंगे और बैटरी ईवी पोर्टफोलियो दोनों की राष्ट्रीय बिक्री में लगातार अपना योगदान बढ़ा रहे हैं। दक्षिणी महानगरों में, खास तौर पर हैदराबाद में महंगे प्रीमियम वाहनों की जोरदार मांग है और हमने भारत के पहले मेबैक लाउंज की शुरुआत की है।’ उन्होंने कहा कि बैटरी से चलने वाली ईवी (बीईवी) की कुल बिक्री में दक्षिण भारत के राज्यों की हिस्सेदारी 8 फीसदी है। मर्सिडीज-बेंज इंडिया ने हाल ही में अपने 25 शोरूम को लक्जरी लाउंज में बदलने के लिए 150 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की है और मुख्य ध्यान महानगरों और मझोले शहरों पर होगा।
ऑडी इंडिया के प्रमुख बलबीर सिंह ढिल्लो ने कहा, ‘ग्राहकों की जीवनशैली में बदलाव के कारण भी दक्षिण भारत में लक्जरी कारें लोकप्रिय हो रही हैं। आज हमारे 70 फीसदी ग्राहक 50 वर्ष से कम आयु के हैं। दक्षिणी बाजारों में हमारी मजबूत उपस्थिति है और बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए हम और अधिक सुविधाएं जोड़ेंगे। दक्षिणी बाजार में विकास की काफी संभावनाएं हैं और हमें विश्वास है कि आने वाले महीनों में बिक्री में वृद्धि होगी।’ ब्रिटेन की लक्जरी स्पोर्ट्स कार कंपनी एस्टन मार्टिन भी पिछले साल दक्षिण भारत में नई डीलरशिप खोलने की अपनी योजना का खुलासा किया था। इसका उद्देश्य भारतीय बाजार में कंपनी की बिक्री को दोगुना करना है। वर्तमान में दिल्ली में सिलेक्ट कार्स के नाम से भारत में इसकी केवल एक डीलरशिप है।
लेम्बोर्गिनी ने भी दक्षिण में अपनी डीलरशिप विस्तार की योजना बनाई है। 2024 में केरल में 10,982 इलक्ट्रिक कारों की बिक्री हुई, जो देश भर में कुल ईवी बिक्री का 11 फीसदी है। फिक्की-येस बैंक की रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2024 में दिल्ली में ईवी की बिक्री सबसे अधिक 11.5 फीसदी रही, उसके बाद 11.1 फीसदी के साथ केरल दूसरे स्थान पर रहा। कुल ईवी बिक्री में असम की हिस्सेदारी 10 फीसदी, कर्नाटक की 9.9 फीसदीऔर उत्तर प्रदेश की 9.2 फीसदी रही।
चेन्नई के एक वित्तीय योजनाकार डी मुथुकृष्णन ने एक्स पर टेस्ला से दक्षिण भारत में निवेश करने का आग्रह करते हुए कहा, ‘चेन्नई भारत के 30 फीसदी वाहन उद्योग और 35 फीसदी वाहन कलपुर्जा उद्योग का केंद्र है। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि भारत में बिकने वाले सभी इलेक्ट्रिक वाहनों में से 40 फीसदी तमिलनाडु में बनते हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए राज्य में भारत का सबसे अच्छा पारिस्थितिकी तंत्र है।’