चतुराई और सही कदम के बीच चयन, जीवन में क्या करना बेहतर ?
कुछ लोग ऐसे होते हैं जो तब तक चतुराई बरतते हैं जब तक कि प्रशासन या संबंधित व्यक्ति उस चतुराई को समझ नहीं लेता और उनसे सही काम करने को नहीं कहता। बता रहे हैं अजित बालकृष्णन विगत दिनों मैं दिल्ली से मुंबई जाने के लिए विमान पर सवार हुआ तो मुझे अहसास हुआ कि […]
आर्टिफिशल इंटेलिजेंस से डर केवल जॉब गंवाने का नहीं
ज्योफ्रे हिंटन ने हाल ही में गूगल छोड़ने की घोषणा की और जब उनसे पूछा गया कि वह ऐसा क्यों कर रहे हैं तो उन्होंने जवाब दिया, ‘मैंने इसलिए छोड़ा ताकि मैं आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) के खतरों के बारे में बिना यह सोचे बात कर सकूं कि इसका गूगल पर क्या असर होगा।’ उनकी इस […]
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से रोजगार को कितना खतरा ?
आइए देखते हैं कि दुनिया भर में विभिन्न प्रकार के मीडिया में आई कुछ सुर्खियों का: ‘चैट जीपीटी: 10 ऐसे रोजगार जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी कृत्रिम मेधा द्वारा छीने जाने के सर्वाधिक जोखिम में हैं’, ‘चैटजीपीटी के कारण किन नौकरियों पर है खतरा?’, ‘इन नौकरियों को चलन से बाहर कर सकता है चैटजीपीटी।’ ऐसी सुर्खियों […]
वेब क्रांति के वास्तविक नायक
पिछले दिनों जब मैं अपने घर की बालकनी से सुदूर रायगड की पहाड़ियों को देख रहा था तो एक सवाल मेरे दिलो दिमाग में घुमड़ने लगा: आखिर कौन हैं वे सच्चे नायक जिन्होंने इंटरनेट और वेब क्रांति को जन्म दिया, वही क्रांति जिसने जीवन के तमाम क्षेत्रों में मानव जीवन को इतना सरल-सहज बना दिया […]
Chatgpt पर दुनियाभर में मचा शोरशराबा
दुनिया में चैटजीपीटी के बारे में हो रही चर्चा के बीच याद आता है कि ऐसी घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं। उन घटनाओं और उनके परिणामों के बारे में बता रहे हैं अजित बालकृष्णन चैटजीपीटी जैसे कृत्रिम मेधा आधारित उपायों के बारे में होने वाली तीखी बहसों को पढ़, देख और सुनकर मैं चिंतित […]
हमारी सोच से उन्नत है भारतीय समाज !
जैसे ही मैंने शोध पत्र का शीर्षक देखा मैं चिढ़ गया। उसका शीर्षक था: ‘महिला नेताओं को लेकर कैसी प्रतिक्रिया देते हैं बाजार? आईपीओ (आरंभिक सार्वजनिक पेशकश) की एक जांच’। मुझे लगा कि शोधकर्ता हमेशा यही रोना क्यों रोते रहते हैं कि भारत में नेतृत्व के मामले में महिलाओं का प्रतिनिधित्व काफी कम है। चाहे […]





