कानून एवं कार्मिक मामलों संबंधी संसदीय समिति के समक्ष पेश होते हुए विभिन्न एनजीओ के प्रतिनिधियों ने कहा कि राजनीतिक दलों को सूचना का अधिकार कानून के दायरे में लाया जाना चाहिए जबकि उन्होंने उस संशोधन विधेयक का विरोध किया जिसमें पार्टियों को पारदर्शिता कानून से बचाने का प्रयास किया गया है।
दूसरी तरफ कुछ ऐसे भी कार्यकर्ता थे जिनका यह मत था कि राजनीतिक दलों को यदि आरटीआई कानून के दायरे में लाया गया तो वे स्वतंत्रतापूर्वक कामकाज नहीं कर पायेंगे।
उनका मानना था कि पार्टियों द्वारा किये गये कुछ फैसलों के पीछे के कारणों को जानने के लिए आरटीआई आवेदन करने से उनका कामकाज बाधित होगा।
आरटीआई कानून के दायरे में राजनीतिक दलों को शामिल करने वाले लोगों की यह भी राय थी कि पार्टी कोष के मामले में अधिक पारदर्शिता होनी चाहिए।
करीब 20 एनजीओ एवं कार्यकताओं ने समिति के समक्ष अपनी राय रखी।
जारी भाषा