न्यायमूर्ति वैफेई ने बताया, यह समिति पति, ससुराल वालों और पति के रिश्तेदारों के खिलाफ किसी महिला की शिकायत की जांच करेगी और बातचीत के जरिए सौहार्द्रपूर्ण समाधान ढूंढने का प्रयास करेगी।
न्यायमूर्ति वैफई ने बताया कि देश के 24 उच्च न्यायालयों में से त्रिपुरा उच्च न्यायालय पहला उच्च न्यायालय है जिसने जिला परिवार कल्याण समितियों का गठन किया है।
राजेश शर्मा बनाम उार प्रदेश मामले का हवाला देते हुये उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सुभाशीष तालपात्रा ने बताया कि 27 जुलाई को उच्चतम न्यायालय ने निर्देश दिया था कि पति या पति के रिश्तेदारों की क्रूरता की किसी महिला की ऐसी शिकायतें जिले के परिवार कल्याण समिति को भेजी जाए जिनमें बड़ी शारीरिक चोट नहीं लगी हो या मौत नही हुयी हो।
न्यायमूर्ति तालपात्रा ने बताया कि उच्चतम न्यायालय ने महसूस किया था कि अक्सर कुछ महिलायें ससुराल पक्ष के बडे बुजुर्गो अथवा पति को परेशान करने के लिये भादंसं महिला के पति या पति के रिश्तेदार द्वारा उसके साथ की जाने वाली क्रूरता 498-ए का दुरुपयोग करती हैं।
न्यायमूर्ति वैफई ने कहा कि जिला स्तरीय समिति की रिपोर्ट मिलने के बाद ही पुलिस उचित कार्वाई करेगी।
उच्च न्यायालय द्वारा कल आयोजित एक समारोह में राज्यपाल तथागत राय ने राज्य के सभी आठ जिलों में इन समितियों की औपचारिक रूप से शुरूआत की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री माणिक सरकार भी मौजूद थे।
भाषा