इन लोगों ने इस सिलसिले मंे अपने खिलाफ सीबीआई द्वारा दाखिल किये गए आरोपपत्र को चुनौती दी थी।
न्यायमूर्ति सुनील हली ने याचिकाआंे को खारिज करते हुए कहा कि यह नहीं कहा जा सकता कि आरोपपत्र में जिक्र किये गए साक्ष्य संग्येय अपराध का खुलासा नहीं करते हैं और मैं अर्जी देने वाले आरोपियांे के खिलाफ लंबित कार्यवाही रद्द करने के लिए इस स्तर पर हस्तक्षेप करने की कोई वजह नहीं पाता।
उत्तर प्रदेश की पिछली मायावती नीत सरकार मंे कैबिनेट मंत्री रहे कुशवाहा और तत्कालीन प्रधान सचिव :मेडिकल एवं स्वास्थ्य: शुक्ला के अलावा अदालत का रूख करने वालों मंे उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के पूर्व प्रबंध निदेशक देवेन्द्र मोहन :अब सेवानिवृत: और तत्कालीन पावर कॉरपोरेशन के तत्कालीन महा प्रबंधक रविंद्र राय शामिल हैं। अदालत ने इस मामले के शीघ्रता से निपटाये जाने की जरूरत का भी जिक्र किया।
अदालत ने मुख्य सचिव को बड़े पैमाने पर सरकारी कोष की अनियमितता वाले मामलांे पर फैसले के लिए विशेष अदालतों का गठन करने पर विचार करने का निर्देश जारी किया।