किसी आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) की सूचीबद्धता के दिन शुरुआती कीमत की गणना से जुड़ी प्रक्रिया पर बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने अतिरिक्त कदम उठाए हैं और निगरामी व्यवस्था लागू की है। यह कदम जोड़तोड़ पर लगाम कसने के लिए उठाया गया है।
सूचीबद्धता के दिन एक घंटे चलने वाली प्रक्रिया को प्री-ओपन कॉल ऑक्शन सेशन कहा जाता है और इस दौरान बाजार के प्रतिभागी विशिष्ट कीमत पर बोली लगाते हैं और शुरुआती कीमत तय करने लिए उनसे मैचिंग की जाती है।
आईपीओ के कुछ निश्चित मामलों और दोबारा सूचीबद्धता वाले शेयरों में बाजार नियामक ने पाया कि कॉल ऑक्शन के दौरान काफी बड़े वॉल्यूम के साथ ऊंची कीमत पर ऑर्डर दिए गए और सत्र की समाप्ति से ठीक पहले इन ऑर्डरों का बड़ा हिस्सा रद्द कर दिया गया।
इससे मांग-आपूर्ति का गलत आंकड़ा सामने आया। लिहाजा शेयर की कीमतों को लेकर संभावित जोड़तोड़ सामने आई। यह कीमत आम निवेशक के लिए अहम होती है। इससे निपटने के लिए सेबी ने ऑर्डर एंट्री की अवधि के दौरान सत्र को अचानक बंद करने की व्यवस्था लागू की है।
सेबी (SEBI) ने कहा कि ऑर्डर देने के आखिरी 10 मिनट के दौरान यानी 35 वें और 45 वें मिनट के बीच सत्र को रैंडम आधार पर बंद कर दिया जाएगा। सिस्टम ही रैंडम तरीके से सत्र को बंद करेगा।
इसके जरिए बाजार नियामक ने ऑर्डर रद्द होने या झूठी मांग के मामले से निपटना चाहता है। इसके अलावा स्टॉक एक्सचेंजों को निर्देश दिया गया है कि अगर किसी खास क्लाइंट की रद्द मात्रा या वैल्यू सत्र के दौरान रद्द हुई कुल मात्रा का 5 फीसदी से ज्यादा हो या उस एकल ऑर्डर का 50 फीसदी से ज्यादा रद्द कर दिया गया हो तो उसे अलर्ट भेजा जाए।
ऐसे रद्द आर्डर या कीमतों में संशोधन पर स्टॉक एक्सचेंज जवाब-तलब कर सकता है। बोली के लिए रियल टाइम डेटा वेबसाइट पर उपलब्ध कराए जाएंगे।
मौजूदा प्रक्रिया
-शुरुआती दिन के उतार-चढ़ाव को दूर करने के लिए एक घंटे का सत्र।
-पहले 45 मिनट ऑर्डर के लिए बोली संशोधित या रद्द की जा सकती है पर इसका क्रियान्वयन नहीं होगा।
-9.45 से 9.55 के बीच ऑर्डर की मैचिंग व क्रियान्वयन। इक्विलिब्रियम प्राइस तय करना।
-रेग्युलर ट्रेडिंग शुरू होने से पहले पांच मिनट का ब्रेक।
-इक्विलिब्रियम प्राइस पर 5 फीसदी या 20 फीसदी की ट्रेडिंग लिमिट जो इश्यू के आकार पर निर्भर करती है।
नया प्रस्ताव
-35 से 45 मिनट के बीच अचानक (रेंडमली) ऑर्डर की एंट्री बंद।
-अगर रद्द मात्रा कुल रद्द आर्डर 5 फीसदी से ज्यादा हो तो एक्सचेंज भेजेगा अलर्ट।
-अगर किसी एक क्लाइंट के 50 फीसदी से ज्यादा ऑर्डर रद्द हों तो उसे जाएगा अलर्ट।
-ऐसे रद्द करने या संशोधन के लिए एक्सचेंज मांगेंगे सफाई।
-बोली के मामले में एक्सचेंजों की वेबसाइट पर रियल टाइम डेटा उपलब्ध होगा।
-तीन महीने में लागू होगा नया नियम।