रूसी कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस और यूरेनियम खरीदने वाले देशों पर शुल्क लगाने की अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की धमकी के बाद केंद्र सरकार अमेरिका की होने वाली घोषणाओं पर नजर रख रही है। यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से ही रूस, भारत के लिए कच्चे तेल का सबसे बड़ा स्रोत बना हुआ है।
ट्रंप ने 9 जुलाई को सार्वजनिक रूप से एक प्रस्तावित कानून का समर्थन किया था, जिस रूस से ऊर्जा खरीदने पर भारत और चीन जैसे देशों पर 500 प्रतिशत शुल्क थोपने का प्रावधान शामिल है। रिपब्लिकन सांसद लिंडसे ग्राहम द्वारा प्रस्तावित कानून ‘सैंक्शनिंग रशिया ऐक्ट ऑफ 2025’ में रूस के राजनेताओं, व्यवसायों और सरकारी संस्थाओं के खिलाफ कड़े प्रतिबंध लगाने का भी प्रावधान किया गया है। अमेरिकी मीडिया द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक द्विदलीय समर्थन होने के कारण यह विधेयक जल्द ही अमेरिकी सीनेट से पारित हो सकता है। बहरहाल पेट्रोलियम मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि अभी कोई चिंता की बात नहीं है। एक अधिकारी ने कहा, ‘पिछले 3 वर्षों में और खासकर 2025 में रूस से तेल आयात में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। भारत ने इस मामले में सभी अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन जारी रखा है। हम अमेरिका-रूस संबंधों में हो रही प्रगति पर लगातार नजर रख रहे हैं, जो बहुत अस्थिर हो गए हैं। भारत और अमेरिका सक्रिय रूप से व्यापार संबंध बढ़ाने में लगे हैं और अमेरिका इसे गंवाना नहीं चाएगा।’ बातचीत की सुस्त रफ्तार के कारण रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतीन से निराश डॉनल्ड ट्रंप ने रूस के खिलाफ अगले चरण के प्रतिबंधों की चेतावनी दी थी। ट्रंप ने संकेत दिए थे कि अमेरिका उन देशों पर 25 से 50 प्रतिशत शुल्क लगा सकता है, जो युद्ध विराम पर सहमति न बनने के बावजूद रूस से तेल खरीदना जारी रखेंगे।
इस दौरान पश्चिम एशिया के भारत के पारंपरिक भागीदारों से आयात स्थिर रहा है। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि भारत ने कच्चे तेल के स्रोतों का पर्याप्त विविधीकरण कर लिया है। आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2025 में रूस के बाद इराक (27.35 अरब डॉलर), सऊदी अरब (20.09 अरब डॉलर) और संयुक्त अरब अमीरात (13.86 अरब डॉलर) भारत के कच्चे तेल के दूसरे, तीसरे और चौथे सबसे बड़े स्रोत बने रहे। इन देशों से आने वाले कच्चे तेल की हिस्सेदारी में हाल के महीनों में धीमी, लेकिन स्थिर वृद्धि देखी गई है। इसकी वजह यह है कि रूसी कच्चे तेल पर छूट कम हो गई है और सरकार ने अपने तेल आयात के विविधीकरण को प्राथमिकता दी है।सूत्रों ने कहा कि ट्रंप की ताजा धमकी ने सरकारी अधिकारियों को परेशान कर दिया है, क्योंकि वित्त वर्ष 2025 में रूस का भारत के कच्चे तेल के आयात में मूल्य के हिसाब से 35.14 प्रतिशत हिस्सा था, जो वित्त वर्ष 2024 में 33.37 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2023 में 19.22 प्रतिशत था। फरवरी 2022 में यूक्रेन रूस संघर्ष शुरू होने से पहले भारत के तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी 1 प्रतिशत से भी कम थी।