भारतीय शेयर बाजारों के लिए पिछले कुछ सप्ताह अस्थिर रहे हैं। अरिहंत कैपिटल मार्केट्स के चेयरमैन अशोक जैन ने ईमेल इंटरव्यू में पुनीत वाधवा को बताया कि उन्होंने बाजार में सतर्क रुख अपनाते हुए हुए नकदी अपने पास बनाए रखी है। बाजार में हाल में आई गिरावट ने मुनाफा कमाने के मौके पैदा किए हैं। मुख्य अंश:
भारतीय शेयर बाजारों के ऊपर बढ़ने के संभावित कारकों में देश में आर्थिक सुधार और मजबूत कॉरपोरेट आय मुख्य रूप से शामिल है। लेकिन मुद्रास्फीति और नीतिगत बदलाव जैसे स्थानीय जोखिम हैं तो वैश्विक स्तर पर भू-राजनीतिक तनाव तथा मुद्रास्फीति संबंधी दबाव भी खतरा बने हुए हैं। ये कारक अनिश्चितता पैदा करते हैं, लेकिन बाजार में समय के साथ जोखिम कम करने की क्षमता होती है। सतर्कता के साथ शेयरों के चयन से निवेशकों को इस परिवेश से निपटने और उभरते अवसरों का लाभ उठाने में मदद मिल सकती है।
वित्त वर्ष 2026 थोड़ा चुनौतीपूर्ण रहने की उम्मीद है। लेकिन बाजार में अभी भी अवसर हैं। उदाहरण के लिए जिन निवेशकों ने सिर्फ एक महीने पहले प्रवेश किया था, उन्होंने पिछले छह हफ्तों में 15 प्रतिशत से अधिक रिटर्न देखा है। प्रदर्शन काफी हद तक फंड प्रबंधक के उद्देश्यों और शेयर चयन पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, आईटी सेक्टर में भारी निवेश वाले लोगों को सेक्टर से जुड़ी चुनौतियों के कारण गिरावट का सामना करना पड़ा है।
हमने सतर्क रुख अपनाते हुए अपने पास नकदी बरकरार रखी है। हालांकि, बाजार की हाल की गिरावट ने रिटर्न कमाने के अवसर पैदा किए हैं जिससे हम अपने पोर्टफोलियो को प्रभावी ढंग से दुरुस्त करने में मदद मिलेगी।
आय इस समय मिलीजुली है, कुछ शेयर दूसरों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। टैरिफ का पूरा प्रभाव वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में देखने को मिल सकता है जबकि पिछले साल के ऊंचे आधार प्रभाव का उपभोक्ता टिकाऊ सामान पर असर पड़ सकता है। इन्फ्रास्ट्रक्चर, पूंजीगत वस्तु और रक्षा जैसे घरेलू ग्रोथ थीम से जुड़े सेक्टरों अच्छी संभावना दिख रही है। भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव ने रक्षा क्षेत्र में निवेशकों की रुचि फिर से बढ़ा दी है।
हमारा पीएमएस हालिया बाजार उतार-चढ़ाव के दौरान भी मजबूत प्रदर्शन करने वाला रहा है। वास्तव में, हमारे कई निवेशकों ने कठिन परिस्थितियों के बावजूद पिछले महीने में अधिक पूंजी आवंटित करके ज्यादा भरोसा जताया है। नकदी निकालने के बजाय वे इसे दीर्घावधि पूंजी सृजन के लिए गुणवत्ता वाले शेयरों में निवेश करने के अवसर के रूप में देखते हैं।
चुनौतीपूर्ण बाजार हालात और तंग ट्रेजरी परिवेश की वजह से ब्रोकिंग और वेल्थ मैनेजमेंट इंडस्ट्री में अगले 6 से 9 महीनों में एकीकरण का दौर दिखने की संभावना है। एचएनआई और पीएमएस निवेशकों की कम भागीदारी भी मंदी में योगदान कर रही है। केवल अच्छी पूंजी वाली, तकनीक-संचालित और ग्राहक-केंद्रित कंपनियां ही इस चरण का सफलतापूर्वक मुकाबला करने और बचे रहने में सक्षम हो सकती हैं।
हालांकि इसे इंडस्ट्री में अपनाने की दर अलग-अलग है, लेकिन एल्गो ट्रेडिंग ने बड़ी फर्मों और आधुनिक निवेशकों के बीच अच्छी-खासी लोकप्रियता हासिल की है। हमने खुदरा निवेशकों के बीच एल्गो में रुचि और मांग में वृद्धि देखी है।