राजस्व विभाग ने आयकर अधिनियम सरल बनाने के लिए मुख्य आयकर आयुक्त वी के गुप्ता की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है। राजस्व विभाग वित्त मंत्रालय के अंतर्गत काम करता है। समिति ने इस विषय पर अपनी शुरुआती चर्चा में कर रियायत को तर्कसंगत बनाने, कर गणना के तरीके का स्तर बढ़ाकर इसे विश्वस्तरीय बनाने और अपील करने की व्यवस्था में जटिलता कम करने करने पर जोर दिया।
गुप्ता केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) प्रमुख रवि अग्रवाल की देख-रेख में इस समिति की अध्यक्षता कर रहे हैं। इस चर्चा की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि समिति के अनुसार आयकर अधिनियम, 1961 की 90 धाराएं अपनी प्रासंगिकता खो चुकी हैं।
एक अधिकारी ने कहा, ‘ये धाराएं खास तौर पर विशेष आर्थिक क्षेत्र, दूरसंचार, पूंजीगत लाभ सहित कर छूट एवं कटौती जैसे मामलों में कारगर नहीं रह गई हैं।’ उन्होंने कहा कि इससे कर प्रणाली को रियायत-मुक्त बनाने की दिशा में बढ़ने में भी मदद मिलेगी। अधिकारी ने कहा, ‘कई छूट एवं कटौती की प्रासंगिकता अब समाप्त हो चुकी है मगर वे अभी भी आयकर कानून का हिस्सा बने हुए हैं। यह इस कानून को और अधिक जटिल बना देती है। विचाराधीन न्यायिक मामलों में संदर्भ के लिए इन खंडों के लिए अलग से अनुसूची तैयार की जा सकती है।’
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई को बजट भाषण में कर कानूनों को सरल और इन्हें आसानी से समझने लायक बनाने के लिए छह महीनों में इन की व्यापक समीक्षा का वादा किया था। सीबीडीटी को भरोसा है कि वह निर्धारित समय में आयकर कानूनों की समीक्षा पूरी कर लेगी।
समिति ने कर दाखिल करने की प्रक्रिया तेज करने, इसकी भाषा आसान बनाने और तकनीकी स्तर और इसे और दुरुस्त करने पर भी व्यापक चर्चा की। इस बात पर भी विचार चल रहा है कि केवल कुछ क्षेत्रों को छोड़कर कर योग्य लाभ की गणना वैश्विक लेखा मानकों के अनुरूप की जाए। सितंबर से यह समिति बैठकों का सिलसिला शुरू करेगी। ये बैठकें क्षेत्रीय अधिकारियों से मिली रिपोर्ट पर आधारित होंगी।
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि आयकर अधिनियम, 1961 की जगह एक नया मसौदा लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि सभी मामलों के सूक्ष्मता से अध्ययन के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकेगा। अधिकारी ने कहा कि इसी उद्देश्य से क्षेत्रों से सूरत-ए-हाल का जायजा लिया जाएगा। समिति की बैठक में हुई चर्चा के संबंध में गुप्ता को भेजे टेक्स्ट मेसेज और सीबीडीटी को भेजे ई-मेल का खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं आया।