पिछले साल कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस जैसे जीवाश्म ईंधन का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया और रोजाना 23.7 करोड़ बैरल तेल के बराबर उत्पादन हुआ। जलवायु संकट को टालने के लिए जीवाश्म ईंधन के उत्पादन और खपत दोनों को बेहद कम करने की आवश्यकता है।
जीवाश्म ईंधन उत्पादन में तेल का दबदबा है जो वर्ष 2022 में कुल उत्पादन का लगभग 40 प्रतिशत था और इसके बाद इसमें कोयला (31 प्रतिशत) और गैस का स्थान रहा।
ब्लूमबर्ग एनईएफ के तेल विश्लेषक क्लाउडियो लुबिस के अनुसार, आपूर्ति से जुड़ी वृद्धि की रफ्तार मजबूत है और तीन कारकों जैसे कि महामारी में फिर से उछाल आना, ऊर्जा सुरक्षा से जुड़ी पहल और मुनाफे का इसमें अहम योगदान है।
जीवाश्म ईंधन की आपूर्ति में पिछले साल रोजाना 97 लाख बैरल तेल के बराबर की सालाना वृद्धि देखी गई। तेल आपूर्ति में यह वृद्धि सऊदी अरब के कारण और गैस उत्पादन में वृद्धि अमेरिका की वजह से हुई। चीन और भारत के चलते कोयला उत्पादन में वृद्धि देखी गई।
भारत के कोयला मंत्रालय ने चालू वित्त वर्ष में 1 अरब टन कोयला भेजने का लक्ष्य रखा है, और इसने एक नया रिकॉर्ड बनाते हुए वर्ष की पहली छमाही में 50 करोड़ टन के स्तर पर पहुंचने में सफलता पाई। इस आपूर्ति का 80 प्रतिशत से अधिक हिस्सा बिजली संयंत्रों में भेज दिया गया था।
दुबई में चल रहे वार्षिक जलवायु सम्मेलन कॉप28 में कार्बन उत्सर्जन को सीमित करने के साथ ही स्वच्छ प्रौद्योगिकी और उसके लिए वित्त व्यवस्था पर चर्चा होगी। कॉप28 के अध्यक्ष, सुल्तान अल जाबेर, अबु धाबी नैशनल ऑयल कंपनी के प्रमुख भी हैं।
वर्ष 2023 सबसे गर्म वर्ष के रूप में दर्ज होने का रिकॉर्ड बना सकता है और अत्यधिक तापमान तथा मौसमी घटनाओं ने दुनिया के कई हिस्सों में नियमित कामकाज को भी प्रभावित किया है। उदाहरण के तौर पर पनामा नहर के सूखने के चलते इसके माध्यम से होने वाला यातायात सीमित हो गया है जिसके चलते तरल प्राकृतिक गैस और अन्य जिंसों की माल ढुलाई प्रभावित हुई है।
पनामा नहर प्राधिकरण ने एक बयान में कहा, ‘अक्टूबर का यह महीना 73 साल पहले दर्ज हुए सूखे के बाद यह यह सबसे व्यापक पैमाने का सूखा है। विशेषज्ञों की मानें तो वर्ष 2024 के मध्य में बारिश के मौसम की शुरुआत होने के बाद ही इस नहर में यातायात बढ़ने की उम्मीद बनेगी।
क्षमता तिगुना करना
जलवायु चुनौती से निपटने के लिए कड़े फैसले लेने की जरूरत है और इसके लिए वित्त व्यवस्था और ठोस उम्मीदें बनाने की जरूरत है। इन्हीं तीन चीजों के बलबूते उत्तराखंड में दो सप्ताह से अधिक समय से निर्माणाधीन सुरंग में फंसे सभी 41 श्रमिकों को नाटकीय रूप से बचाने में सफलता मिली।
एक विकल्प यह है कि वर्ष 2030 तक बिजली के अक्षय ऊर्जा के स्रोतों वाले संयंत्र की क्षमता को तीन गुना कर 11 टेरावॉट तक करने के लक्ष्य के लिए प्रतिबद्धता जताई जाए। इसके लिए वार्षिक स्वच्छ ऊर्जा निवेश को वर्ष 2022 के 564 अरब डॉलर से बढ़ाकर लगभग 1.2 लाख करोड़ डॉलर सालाना करने की आवश्यकता होगी।
इसके लिए, नई अक्षय ऊर्जा क्षमता को समायोजित करने के साथ-साथ, ऊर्जा भंडारण क्षमता के विस्तार के लिए बिजली ग्रिड में निवेश को बढ़ावा देने की भी आवश्यकता है।
बीएनईएफ के अनुसार, क्षमता को तिगुना बढ़ाना कठिन होगा, हालांकि यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। इसमें एक महत्त्वपूर्ण बात यह है कि आखिरी बार क्षमता को तिगुना करने में 12 साल लगे और अब अगली बार आठ साल लगने चाहिए। अधिकांश देशों में पवन और सौर ऊर्जा इस नए दौर के सबसे सस्ते ऊर्जा स्रोत माने जाते।
इसके अलावा 90 प्रतिशत से अधिक वैश्विक उत्सर्जन कवर किए गए हैं या जल्द ही किसी शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य द्वारा कवर किए जाएंगे और ऐसा लक्ष्य पहले से कहीं अधिक व्यावहारिक दिखता है।
बैटरी की कीमतें
बैटरी की कीमतें पिछले साल की तेजी के रुझान के बाद फिर से कम हो रही हैं। बीएनईएफ के ताजा सर्वेक्षण के अनुसार, 2023 में औसत लीथियम-आयन बैटरी पैक की कीमतें कम होकर 139 डॉलर प्रति किलोवॉट घंटा तक हो गई हैं और यह 2022 के मुकाबले कम होकर 14 प्रतिशत तक हो गया है। अगले कुछ वर्षों में कीमतों में और गिरावट आने की उम्मीद है, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों और ऊर्जा भंडारण के आर्थिक पहलू को मजबूत करने में मदद मिलेगी।
लीथियम, निकल और कोबाल्ट जैसी बैटरी धातुओं की कीमतों में कमी से कुल कीमतों को कम करने में मदद मिली है। वर्ष 2050 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य को हासिल करने के लिए दुनिया को लगभग 10 लाख करोड़ डॉलर के धातुओं की आवश्यकता होगी। आपूर्ति में अड़चनें आ सकती हैं, खदानों और खनन अनुबंधों की निगरानी भी बढ़ सकती है।
व्यापक विरोध प्रदर्शनों के कारण पनामा सरकार ने हाल ही में 10 अरब डॉलर के तांबे की खान को बंद करने का फैसला किया। राष्ट्रपति लॉरेंटिनो कोर्टिजो ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि अधिकारी खदान को व्यवस्थित और सुरक्षित तरीके से बंद करने की प्रक्रिया शुरू करेंगे हालांकि उन्होंने इस बात का जिक्र नहीं किया कि इस प्रक्रिया में कितना समय लग सकता है।
भारत का खनन मंत्रालय लीथियम, निकल, ग्रेफाइट, मलिबडनम और धरती के कुछ दुर्लभ तत्त्वों सहित देश भर के महत्त्वपूर्ण खनिजों के खनन के लिए 20 ब्लॉकों की नीलामी कर रहा है। अगले साल की शुरुआत में विजेता बोली को अंतिम रूप दिया जाएगा।
(लेखिका न्यूयॉर्क में ब्लूमबर्ग एनईएफ की वरिष्ठ संपादक-वैश्विक नीति-हैं)