वैश्विक ब्रांड सलाहकार फर्म इंटरब्रांड के अनुसार भारतीय कंपनियों के ब्रांड का कुल मूल्य 8,31,005.7 करोड़ रुपये (100 अरब डॉलर) से अधिक हो गया है। फर्म ने भारत के शीर्ष 50 सबसे अधिक मूल्यवान ब्रांडों के संबंध में अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पिछले एक दशक के दौरान इन आंकड़ों में 167 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
भारत की सबसे बड़ी आईटी सेवा फर्म टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) एक लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार करने वाली पहला भारतीय ब्रांड बन गई है। इसने 1,09,576 करोड़ रुपये के ब्रांड मूल्य के साथ सूची में सबसे ऊपर जगह बनाई है, जो पिछले दशक में 153 प्रतिशत का इजाफा है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज 65,320.8 करोड़ रुपये के ब्रांड मूल्य के साथ दूसरे पायदान पर रही है, जो पिछले एक दशक में 121 प्रतिशत अधिक है। तीसरा स्थान आईटी सेवा कंपनी इन्फोसिस ने हासिल किया है, जिसका ब्रांड मूल्य पिछले एक दशक में 197 प्रतिशत बढ़कर 53,323.8 करोड़ रुपये हो गया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि शीर्ष 10 ब्रांड के कुल मूल्य में अकेले शीर्ष तीन ब्रांड की हिस्सेदारी ही 46 प्रतिशत है। इसके अलावा शीर्ष पांच ब्रांड सामूहिक रूप से इस तालिका के कुल मूल्य में 40 प्रतिशत का योगदान करते हैं।
यह वर्ष ऐतिहासिक है क्योंकि पिछले एक दशक में पहली बार तीन प्रौद्योगिकी ब्रांड ने शीर्ष पांच में जगह बनाई है। इस तालिका में इन शीर्ष 10 ब्रांड ने इंटरब्रांड के तीन ‘ब्रांड स्ट्रेंथ फैक्टर्स’- विश्वास, विशिष्टता और सहानुभूति में उल्लेखनीय स्तर हासिल किया है।
इंटरब्रांड के वैश्विक मुख्य कार्याधिकारी गोंजालो ब्रुजो ने कहा ‘इस साल की सूची भारतीय ब्रांड परिदृश्य की उल्लेखनीय वृद्धि और प्रगति को दर्शाती है। 100 अरब डॉलर स्तर पार करते हुए कुल ब्रांड मूल्य में यह उल्लेखनीय वृद्धि सराहनीय उपलब्धि है तथा वैश्विक स्तर पर भारतीय ब्रांडों की ताकत और क्षमता साबित करती है। हम इन ब्रांडों की निरंतर सफलता और नवोन्मेष को देखकर गर्व अनुभव कर रहे हैं, जो भारत में कारोबार के भविष्य को आकार दे रहे हैं।’
इन शीर्ष 10 ब्रांड का कुल ब्रांड मूल्य 4,94,992 करोड़ रुपये है, जो सूची में शेष 40 ब्रांड के संयुक्त मूल्य 3,36,013 करोड़ रुपये से अधिक है। पिछले 10 साल में सबसे तेजी से बढ़ते क्षेत्रों की जांच करने पर पता चलता है कि एफएमसीजी ने प्रभावशाली 25 प्रतिशत की वार्षिक चक्रवृद्धि वृद्धि दर (सीएजीआर) का प्रदर्शन किया है, इसके बाद 17 प्रतिशत के साथ आवास निर्माण और बुनियादी ढांचा तथा 14 प्रतिशत के साथ प्रौद्योगिकी का स्थान रहा है।