गर्मियों के मौसम में बिजली की ज्यादा मांग के दौरान आपूर्ति में कमी की स्थिति से बचने के लिए केंद्रीय बिजली मंत्रालय योजना बना रहा है। ताप बिजली उत्पादन क्षेत्र की दिग्गज कंपनी एनटीपीसी के 2.5 गीगावॉट उत्पादन को ज्यादा मांग के समय चलने वाले बिजली संयंत्रों के रूप में बनाने पर विचार कर रहा है। इस योजना के तहत गेल लिमिटेड से गैस ली जाएगी और अगर इसका इस्तेमाल नहीं हो पाता है, जब भी इसका पूरा भुगतान किया जाएगा।
मंत्रालय इस विशेष योजना के लिए कोष के गठन पर विचार कर रहा है, जिससे इस्तेमाल न हुई गैस की कीमत चुकाई जाएगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘एनटीपीसी जो गैस गेल से खरीदेगी, उसका भुगतान कंपनी करेगी और यह भुगतान बाजार भाव पर किया जाएगा। अगर खरीदी गई गैस का इस्तेमाल नहीं हो पाता है तो बिजली मंत्रालय उस गैस का भुगतान करेगा। इससे बाधारहित आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी। गैस स्टेशन बिजली की मांग तेज होने पर आपूर्ति पूरी करने के लिए उत्पादन बढ़ा सकेंगे।’
एनटीपीसी की गैस से बिजली उत्पादन की कुल क्षमता 4 गीगावॉट है और 2.5 गीगावॉट के संयुक्त उपक्रम हैं। इसकी पुष्टि करते हुए एनटीपीसी के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि इससे बिजली की ज्यादा मांग के समय में आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी, खासकर ऐसी स्थिति में, जब मांग बढ़ने पर कोयला से चलने वाले संयंत्र उत्पादन बढ़ा पाने में सक्षम नहीं हो पाते।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘जैसा कि विचार किया गया है, मूल्य को लेकर व्यवधान नहीं होगा। मंत्रालय बिजली की बढ़ी मांग पूरी करने के विकल्पों पर विचार कर रहा है। ऐसे में गेल की बेहतरीन पेशकश के मुताबिक गैस खरीदी जाएगी। दोनों पक्षों को सैद्धांतिक अनुमति मिल गई है और हम विस्तृत ब्योरा तैयार करेंगे।’
इसके लिए बनाया जा रहा कोष गैस आधारित इकाइयों के लिए बने फंड पावर सिस्टम डेवलपमेंट फंड (पीएसडीएफ) की तरह की होगा, लेकिन यह 2.5 गीगावॉट बिजली तक ही सीमित रहेगा और इसमें कोई बोली नहीं शामिल होगी। कोयला से चलने वाले बिजली संयंत्रों के विपरीत गैस संयंत्र को तत्काल चालू और बंद किया जा सकता है और इस तरह से अचानक बिजली की मांग बढ़ने की स्थिति में यह उपयोगी है। कोयला जहां ऊर्जा स्रोत पर निर्भर है, पनबिजली, गैस, बैटरी भंडारण लचीला ऊर्जा स्रोत है, जो मांग और आपूर्ति का संतुलन करता है।
2021 की गर्मियों के दौरान कुछ राज्यों और बिजली संयंत्रों ने घरेलू कोयला आपूर्ति में कमी की शिकायत की थी। केंद्रीय बिजली मंत्रालय के एक दिशानिर्देश के बाद एनटीपीसी ने कमी की भरपाई के लिए कोयले का आयात किया। कंपनी के अधिकारियों के मुताबिक एनटीपीसी ने चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 100 लाख टन कोयले का आयात किया। एक इन्वेस्टर कॉल में कंपनी के प्रबंधन ने कहा कि एनपीसी की इकाइयों से औसत शुल्क में प्रति यूनिट करीब 0.91 रुपये की बढ़ोतरी हुई है। इसका बोझ ग्राहकों पर डाला गया है।
देश में 24,150 मेगावॉट गैस ग्रिड से जुड़ी बिजली उत्पादन क्षमता में 13,305 मेगावॉट क्षमता के संयंत्रों को घरेलू गैस की आपूर्ति नहीं होती। इसके हिसाब से 65,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश गैर निष्पादित संपत्ति बन गया है। शेष क्षमता (9,845 मेगावॉट) में 40,000 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है, जो अपनी क्षमता से कम चल पा रहे हैं, क्योंकि उन्हें घरेलू गैस सीमित मात्रा में मिल रही है।
केंद्र सरकार ने 2016 में बिजली संयंत्रों के लिए रिवर्स ई-ऑक्शन की प्रक्रिया शुरू की थी, जिससे महंगी आयातित गैस की खरीद पर सब्सिडी दी जा सके। योजना को 2017 में रोक दिया गया। उसके बाद पीएसडीएफ के तहत फंड दोगुना कर 1,000 करोड़ रुपये करके 2019 में इसे फिर से शुरू किया गया। उसके बाद इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है और गैस से चलने वाली इकाइयां गैस और फंडिंग के लिए जूझ रही हैं।