भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा कि बाजार नियामक एक ऐसी नई निवेश योजना पेश करने की संभावना तलाश रहा है जिसमें म्युचुअल फंड (MF) और पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाओं (पीएमएस) के बीच तालमेल बढ़ेगा और जोखिमपूर्ण दांव लगाने वाले निवेशकों को मदद मिलेगी।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के एक कार्यक्रम से इतर सेबी की चेयरपर्सन ने कहा कि नियामक फिलहाल उद्योग और अन्य हितधारकों के साथ इस प्रस्ताव पर विमर्श कर रहा है।
बुच ने कहा, ‘म्युचुअल फंड सबसे ज्यादा खुदरा पर केंद्रित हैं। फिर आपके पास पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाएं और वैकल्पिक निवेश फंड (एआईएफ) हैं। इस श्रेणी में हमें लगता है कि एमएफ और पीएमएस के बीच कहीं न कहीं एक और परिसंपत्ति वर्ग के लिए जगह है। इसको लेकर हम उद्योग के साथ चर्चा कर रहे हैं कि वह परिसंपत्ति वर्ग क्या होगा और कैसा होगा।’
इससे पहले अक्टूबर में, सेबी ने एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड इन इंडिया (एएमएफआई) को पत्र लिखकर उन निवेशकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक नई एमएफ श्रेणी पर व्यक्तिगत परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) के विचार मांगे थे, जो एमएफ और पीएमएस के बीच एक निवेश उत्पाद की तलाश कर रहे हैं।
प्रस्तावित श्रेणी में संभवतः न्यूनतम निवेश सीमा ज्यादा होगी मगर पीएमएस की तुलना में कम होगी। साथ ही इसमें उच्च रिटर्न के लिए मानदंडों में ढील भी दी सकती है। पीएमएस का न्यूनतम आकार 50 लाख रुपये होगा जबकि एमएफ में एसआईपी 100 रुपये से कम हो सकती हैं।
किर्लोस्कर परिवार के सदस्यों की होल्डिंग्स को डीफ्रीज करने में देरी होने पर प्रतिभूति अपील पंचाट (सैट) ने द्वारा लगाए गए दंड पर बुच ने स्वीकार किया देरी अस्वीकार्य थी और नियामक ने पूरी प्रक्रिया की समीक्षा शुरू की थी।
उन्होंने कहा, ‘सेबी जिम्मेदार था और सेबी जवाबदेह था। हमें इसका बहुत दुख है। एक महीने या 45 दिनों के भीतर हम इस प्रक्रिया को नया रूप देंगे ताकि ऐसा दोबारा होने का जोखिम पूरी तरह से कम हो जाए।’
आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) आवंटन की आनुपातिक प्रणाली बंद करने के मुद्दे पर जब चेयरपर्सन से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि आईपीओ में अधिक अभिदान का स्तर बढ़ रहा था और इससे मूल्य दायरा तय करने में मदद नहीं मिल रही थी।