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SC का आदेश-पराली जलाने पर तुरंत लगे रोक, दिल्ली की ऑड-ईवन योजना पर भी उठाया सवाल

अदालत ने दिल्ली सरकार के वकील से सवाल किया कि ऑड-ईवन योजना जब पहली बार लागू हुई थी तो क्या यह सफल रही थी।

Last Updated- November 07, 2023 | 11:17 PM IST
Delhi AQI improves marginally to 413; haze persists, health concerns rise

दिल्ली एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की लगातार बद से बदतर होती हवा पर चौतरफा चिंता के बीच आज उच्चतम न्यायालय ने पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान को फसल अवशेष (पराली) जलाने पर तत्काल रोक लगाने का निर्देश दिया। न्यायालय ने कहा कि वह प्रदूषण की वजह से ‘लोगों को मरता’ नहीं छोड़ सकता।

इसके साथ ही वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए दिल्ली सरकार की ऑड-ईवन योजना पर उच्चतम न्यायालय ने सवाल उठाया और कहा कि यह महज ‘दिखावे के लिए’ लागू की जा रही।

प्रदूषण की गंभीर स्थिति देखकर शीर्ष अदालत ने बेरियम वाले पटाखों पर देश भर में रोक लगा दी। उसने कहा कि बेरियम वाले पटाखों पर रोक का आदेश केवल दिल्ली-एनसीआर के लिए नहीं बल्कि हर राज्य के लिए है।

पराली जलाने और प्रदूषण के मसले पर राज्यों द्वारा एक दूसरे पर तोहमत लगाए जाने के सिलसिले पर कड़ा रुख अपनाते हुए पीठ ने कहा कि हमेशा राजनीतिक लड़ाई नहीं हो सकती।

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल ने कहा, ‘मुझे अफसोस है, यह पूरी तरह से लोगों के स्वास्थ्य की हत्या है। इसके अलावा मेरे पास कोई शब्द नहीं है।’

पराली जलाने की घटना पर अदालत ने पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के मुख्य सचिवों को निर्देश दिया कि वह 8 नवंबर को बैठक करें और 10 नवंबर तक इस बारे में रिपोर्ट सौंपे। अदालत ने कहा कि फसल अवशेष यानी पराली जलाने से रोकने की जिम्मेदारी इन राज्यों के स्थानीय थाना प्रभारियों, मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों की होगी।

न्यायमूर्ति कौल ने पंजाब के महाधिवक्ता गुरमिंदर सिंह से कहा, ‘हम चाहते हैं कि पराली जलाना बंद हो। हमें नहीं पता कि आप यह कैसे करेंगे। यह आपका काम है कि इसे कैसे करना है। यह रुकनी चाहिए।’

अदालत ने दिल्ली सरकार के वकील से सवाल किया कि ऑड-ईवन योजना जब पहली बार लागू हुई थी तो क्या यह सफल रही थी। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया के पीठ ने कहा, ‘दिक्कत यह है कि यह सब दिखाने के लिए किया गया है।’

अदालत ने वरिष्ठ वकील अपराजिता सिंह की दलील पर विचार करते हुए कहा कि ऑड-ईवन योजना अवैज्ञानिक है। सिंह ने कहा, ‘इस स्थिति से निपटने के लिए हमने डीजल वाहनों के लिए ऑरेंज और सीएनजी तथा पेट्रोल वाहनों के लिए ब्लू टैग का सुझाव दिया था। इसे लागू भी किया गया है। ऐसे में सड़क पर चलने वाले डीजल वाहनों पर रोक लगाना आसान है।’

सिंह ने सुझाव दिया कि सरकार को ऑड-ईवन के बजाय उन पर लगे स्टिकर का रंग देखकर रोक लगानी चाहिए। इस पर अदालत ने दिल्ली सरकार से इन स्टिकरों के आधार पर लगाई गई पाबंदी के बारे में रिपोर्ट देने को कहा है। अदालत ने निर्देश दिया कि दिल्ली में यह व्यवस्था लागू है और पड़ोसी राज्यों को भी स्टिकर वाली व्यवस्था लागू करनी चाहिए।

अदालत को बताया गया कि दिल्ली की सड़कों पर बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों में पंजीकृत टैक्सियां चल रही हैं। अदालत ने दिल्ली सरकार से राजधानी में केवल दिल्ली में पंजीकृत टैक्सियों का ही संचालन सुनिश्चित करने को कहा। साथ ही दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि शहर में खुले में नगर निगम का ठोस कचरा न जलाया जाए।

इस बीच पंजाब के अटॉर्नी जनरल ने कहा कि किसान अपनी कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण पराली जलाने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र को आवश्यक सुविधा के लिए सब्सिडी मुहैया कराने का भी सुझाव दिया गया है। शीर्ष अदालत ने पराली जलाने के मसले पर मौसम विज्ञान विभाग से जवाब मांगा है। मामले की सुनवाई अब शुक्रवार को होगी।

लगातार पांच दिनों तक गंभीर वायु गुणवत्ता के बाद मंगलवार को सुबह दिल्ली में प्रदूषण का स्तर ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज किया गया। गाजियाबाद में एक्यूआई 338, गुरुग्राम में 364, नोएडा में 348, ग्रेटर नोएडा में 439 और फरीदाबाद में 382 दर्ज किया गया।

First Published - November 7, 2023 | 11:17 PM IST

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