भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा इस सप्ताह के आरंभ में आयोजित सर्वदलीय बैठक में एक रिमोट (दूर से काम करने वाली) मतदान मशीन का प्रदर्शन किया जाना था जो प्रवासी कामगारों तथा दूरदराज रहने वाले अन्य लोगों के मतदान में काम आ सकती थी। विभिन्न विपक्षी दलों के कड़े प्रतिवाद के बाद प्रदर्शन नहीं किया गया।
यह मशीन तब सामने आई जब निर्वाचन आयोग ने कुछ वर्षों तक इस समस्या पर विचार किया कि प्रवासियों के मतदान की समस्या को कैसे दूर किया जा सकता है? गत वर्ष के अंत में आयोग ने संकेत दिया था कि उसने दूर से इलेक्ट्रॉनिक मशीन के माध्यम से मतदान कराने पर काम किया है।
इसके लिए एक नमूना मशीन तैयार की गई। निर्वाचन आयोग का कहना है कि ऐसा करने से प्रवासियों के मतदान के लिए अपने गृह जिले जाने की समस्या को हल किया जा सकेगा तथा यह सुनिश्चित हो सकेगा कि वे सुदूर किसी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के जरिये मतदान कर सकें। समुचित विचार-विमर्श के बाद प्रवासी मतदान को शामिल करने का निर्णय स्वागतयोग्य है और इसे निश्चित तौर पर लागू किया जाना चाहिए।
भारत में कुल मतदाताओं में से बहुत कम लोग वास्तव में मतदान करते हैं क्योंकि बड़ी तादाद में मतदाता देश के भीतर ही काम के सिलसिले में या अन्य कारणों से एक स्थान से दूसरे स्थान पर आते जाते रहते हैं। फिलहाल उनके लिए मतदान की कोई उचित व्यवस्था नहीं है। कुछ सर्वेक्षणों से संकेत मिलता है कि बीते कम से कम एक प्रासंगिक चुनाव में 60 फीसदी मौसमी प्रवासी मतदान करने से चूक गए। चूंकि एक समय में देश के भीतर ही 30 से 45 करोड़ लोग यहां से वहां चले गए हैं इसलिए कह सकते हैं कि केवल इसी वजह से बड़ी तादाद में मतदाता मतदान नहीं कर पाते। अर्थव्यवस्था के विकास के साथ ही यह संभव है कि लोगों का आंतरिक प्रवास और बढ़े क्योंकि लोग काम की तलाश में तथा अन्य वजहों से यहां-वहां जाएंगे और मतदान करने से चूक जाएंगे।
ऐसे में इस बाधा से निजात पाना देश के चुनावों को अधिक समावेशी बनाने के लिए अहम है। यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लंबे समय से यह हो रहा है। उदाहरण के लिए डाक मतदान अमेरिका तथा अन्य देशों के चुनावों में सहज ही इस्तेमाल होता है। भारत में डाक मतदान केवल वरिष्ठ नागरिकों के लिए तथा उन लोगों के लिए है जो चुनाव ड्यूटी कर रहे हैं या अन्य विशेष पदों पर हैं। बहरहाल, यह कहा जा सकता है कि डाक मतपत्र की व्यवस्था होने के बावजूद नई प्रणाली क्यों तलाश की जा रही है। चुनाव आयोग का सोचना यह हो सकता है कि मौजूदा मतदान मशीनों की गति के साथ तकनीक को आसानी से प्रवासी लोगों तक बढ़ाया जा सकता है।
विपक्ष की शिकायत है कि नई व्यवस्था में जटिलता है। यह बात कुछ हद तक सही है। हर रिमोट वोटिंग मशीन में 72 अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों के मतदान दर्ज किए जा सकेंगे। चूंकि हर निर्वाचन क्षेत्र में अनेक प्रत्याशी होते हैं और आम चुनाव में बड़ी तादाद में निर्वाचन क्षेत्र होते हैं इसलिए दिक्कत आ सकती है। ऐसे में निर्वाचन आयोग शायद डाक मतदान का इस्तेमाल कर सकता है जो सहज प्रयोग में लाया जा सकता है।
इससे रिमोट मतदान में मशीनों के परीक्षण के लिए और समय मिल जाएगा तथा मतदाताओं और राजनीतिक दलों का भरोसा भी मजबूत होगा। मतदान के तरीके को लेकर मतभेद के चलते प्रवासियों को मतदान में शामिल करने में देर नहीं होनी चाहिए। राजनीतिक दलों को भी केवल विरोध के लिए विरोध नहीं करना चाहिए। अतीत में भी अनेक राजनीतिक दलों ने मशीनों से मतदान का किसी ठोस कारण के बगैर विरोध किया है।