गो फर्स्ट ने नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) से कहा है कि अगर कंपनी बहाली की उसकी योजना को मंजूरी मिलती है तो पहले दिन से ही वह 152 उड़ान रोजाना शुरू करने में सक्षम है। कंपनी के अधिकारियों ने सोमवार को बिजनेस स्टैंडर्ड को यह जानकारी दी।
कंपनी अभी इन्सॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल अभिलाष लाल के प्रशासन के दायरे में है और यह 3 मई से ही उड़ानों का परिचालन नहीं कर पा रही है। अप्रैल में कंपनी करीब 200 रोजाना उड़ानों का परिचालन कर रही थी। इस महीने डीजीसीए को सौंपी गई कंपनी बहाली योजना में विमानन कंपनी ने कहा है कि अपने बेड़े के परिचालन वाले 26 विमानों की खातिर उसके पास पर्याप्त कर्मचारी हैं, जिनमें करीब 675 पायलट और 1,300 कैबिन क्रू मेंबर शामिल हैं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने कहा, हमने डीजीसीए से कहा है कि 152 रोजाना उड़ानों का परिचालन 22 सक्रिय विमानों के जरिए किया जाएगा। बाकी चार विमानों का इस्तेमाल तब किया जाएगा जब किसी तकनीकी वजह से किसी विमान को खड़ा कर दिया जाता हो।
भारत में विमानों का किराया खास तौर से उन मार्गों पर काफी बढ़ रहा है, जहां गो फर्स्ट की खासी मौजूदगी थी। विमानन मंत्रालय उम्मीद कर रहा है कि गो फर्स्ट उड़ान बहाल करने में सक्षम होगी। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने ये बातें कही। उन्होंने कहा, किराया नीचे लाने के लिए यह एकमात्र व्यावहारिक जरिया है।
गो फर्स्ट के अधिकारियों ने कहा कि सभी 200 वेंडरों मसलन इंडियन ऑयल, एयरपोर्ट अथॉरिटी, प्राइवेट एयरपोर्ट ऑपरेटर, इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनी, ग्राउंड हैंडलिंग एजेंटों और खाना मुहैया कराने वालों ने विमानन कंपनी की वहाली योजना पर हस्ताक्षर किए हैं। हालांकि करीब 82-85 फीसदी वेंडर अब विमानन कंपनी से कैश ऐंड कैरी जरिया चाहते हैं, जिसके तहत विमानन कंपनी को हर दिन की सेवाओं के लिए अग्रिम भुगतान करना होता है।
अधिकारियों ने कहा कि हमने इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम के तहत 208 करोड़ रुपये देने का अनुरोध लेनदारों से किया है, ताकि विमानन कंपनी उड़ान बहाल कर सके। 208 करोड़ रुपये का आवंटन विमानन कंपनी के दिवालिया होने से कुछ दिन पहले किया गया था।
अधिकारी ने कहा, लेनदारों की समिति 9 जून को बैठक करेगी और उम्मीद है कि लेनदार हमारे अनुरोध पर जल्द फैसला लेंगे। विमानन कंपनी को कार्यशील पूंजी व आपात देयता के लिए 150 से 175 करोड़ रुपये की दरकार है ताकि वह सेवाएं बहाल कर सके। अधिकारी ने कहा, विमानन कंपनी इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम से बाहर कर्ज लेने के लिए भी बैंकों के संपर्क में है। रकम के लिए कंपनी तीन प्राइवेट इक्विटी फर्मों के संपर्क में भी है।
10 मई को राष्ट्रीय कंपनी कानून पंचाट (एनसीएलटी) ने विमानन कंपनी की स्वैच्छिक दिवाला समाधान अर्जी मंजूरी कर ली और विमान पट्टादाताओं को अपने विमान वापस लेने से रोक दिया। इसके बाद पट्टादाता अपील पंचाट के पास गए जिसने उन्हें कोई राहत नहीं दी और उन्हें वापस एनसीएलटी के पास जाने के लिए कहा।
हालांकि कुछ पट्टादाता वापस एनसीएलटी चले गए, लेकिन अन्य पट्टादाताओं ने विमानों का पंजीकरण रद्द करने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। सोमवार को एनसीएलटी ने लाल को पट्टादाताओं द्वारा दायर आवेदन पर जवाब देने को कहा। इस मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने 1 जून को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
गो फर्स्ट के अधिकारियों ने कहा कि विमानन कंपनी द्वारा दिवाला आवेदन जमा करने के बाद पट्टादाताओं ने अपने विमानों के पट्टे समाप्त कर दिए। उन्होंने कहा कि चूंकि एनसीएलटी ने सभी परिसंपत्तियों पर रोक लगा दी है, इसलिए विमानन कंपनी अपने बेड़े में वापस लाने के लिए 26 सक्रिय विमानों का उपयोग करेगी।
अधिकारियों ने कहा कि विमानन कंपनी इन विमानों का ‘मुफ्त’ उपयोग नहीं करेगी और डीजीसीए के सामने प्रस्तुत की गई बहाली योजना में पट्टे का किराया भुगतान करने के लिए पहले ही एक निश्चित राशि आवंटित कर चुकी है। इस बात पर विचार करते हुए कि उन्होंने पट्टे समाप्त कर दिए हैं, यह स्पष्ट नहीं है कि पट्टेदारों को यह भुगतान कैसे किया जाएगा। एक अधिकारी ने कहा कि फिर से परिचालन शुरू होने के बाद पट्टादाताओं के साथ कुछ चर्चा होगी।