नागर विमानन मंत्रालय और रेल मंत्रालय ने प्रधानमंत्री गतिशक्ति योजना के तहत एक संयुक्त पहल के लिए साझेदारी की है। इसका मकसद तीन निर्माणाधीन महत्त्वपूर्ण हवाईअड्डों- नोएडा, नवी मुंबई और धोलेरा के लिए रेल यातायात संपर्क मुहैया कराना है।
बिज़नेस स्टैंडर्ड ने इससे जुड़े दस्तावेज देखे हैं, जिनके मुताबिक नोएडा हवाई अड्डे को जोड़ने के लिए दिल्ली-वाराणसी हाई-स्पीड रेल (एचएसआर) परियोजना के दिल्ली-जेवर खंड के काम में तेजी लाने की योजना है। इस पहल के अंतर्गत दिसंबर 2024 तक नवी मुंबई हवाई अड्डे के नीचे रेलवे स्टेशन बनाना, पटरी बिछाना और धोलेरा हवाई अड्डे के नजदीक रेलवे लाइन और एक स्टेशन बनाना भी शामिल है।
पिछले कुछ महीनों में नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव परियोजनाओं में तेजी लाने के लिए साथ काम कर रहे हैं। 8 मई को सिंधिया ने वैष्णव को पत्र लिखकर तीन निर्माणाधीन हवाई अड्डों को रेल से जोड़ने का अनुरोध किया था। 10 जुलाई को दोनों की बैठक हुई।
बैठक में तय हुआ कि रेल मंत्रालय हवाईअड्डे के मास्टरप्लान के मुताबिक रेल परियोजना की समयसीमा तय करेगा और उसे नागर विमानन मंत्रालय के साथ साझा किया जाएगा।
पिछले महीने सिंधिया ने वैष्णव को एक और पत्र लिखकर परियोजना की समयसीमा के बारे में जानकारी देने का आग्रह किया था। सिंधिया ने 8 मई के इस पत्र में कहा था कि नोएडा और धोलेरा हवाई अड्डे को प्रधानमंत्री गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के अंतर्गत उच्च प्रभाव वाली परियोजना के तौर पर चिह्नित किया गया है मगर स्थान और क्षमता के हिसाब से नवी मुंबई हवाई अड्डा बेहद महत्त्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा, ‘नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर सालाना 9 करोड़ तक यात्रियों की आवाजाही होगी और इसे दिसंबर 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे में इस हवाई अड्डे को रेल यातायात से जोड़ना भी जरूरी हो जाता है और हवाई अड्डा बनने से पहले उसके नीचे रेलवे स्टेशन बनाना जरूरी है।’
रेल मंत्रालय के तीन अधिकारियों ने बताया कि नवी मुंबई के साथ ही जेवर और धोलेरा परियोजनाओं को प्राथमिकता पर रखा गया है तथा रेलवे ने इसके लिए स्थान सर्वेक्षण को हरी झंडी दे दी है। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इन परियोजनाओं को पूरा करने की समयसीमा क्या है। यह भी नहीं पता कि विमानन मंत्रालय को इस बारे में कोई जानकारी दी गई है या नहीं।
नवी मुंबई हवाई अड्डे का निर्माण अदाणी समूह द्वारा किया जा रहा है और नोएडा हवाई अड्डे को ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनैशनल बना रही है। इस बारे में जानकारी के लिए नागर विमानन मंत्रालय, रेल मंत्रालय और अदाणी समूह को ईमेल भेजा गया लेकिन खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं आया।
सिंधिया ने पत्र में उल्लेख किया है, ‘नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एक साल (2024 के अंत में) में वाणिज्यिक परिचालन के लिए परीक्षण शुरू हो जाएगा। मैं समझता हूं कि जेवर को दिल्ली और वारणसी के बीच बन रही हाईस्पीड रेल से जोड़ा जा रहा है। इसका निर्माण राष्ट्रीय हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन द्वारा किया जा रहा है और एचएसआर लाइन का काम 2023-24 में शुरू करने का प्रस्ताव है।’
अगले साल दिसंबर में पहला चरण पूरा होने के बाद नोएडा हवाई अड्डे की सालाना क्षमता 1.2 करोड़ यात्रियों की आवाजाही की होगी और चारों चरण पूरे होने के बाद कुल क्षमता बढ़कर 7 करोड़ यात्रियों की हो जाएगी। दिल्ली-वाराणसी हाईस्पीड रेल परियोजना अभी योजना के चरण में है। राष्ट्र्रीय रेल योजना के अनुसार इस गलियारे को 2031 तक पूरा करने का प्रस्ताव है, जिस पर कुल 1.7 लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे।
इस बीच रेल मंत्रालय दिल्ली से जेवर के बीच यातायात के लिए रैपिड रेल के अन्य माध्यमों की भी संभावना तलाश रहा है। अहमदाबाद-धोलेरा औद्योगिक क्षेत्र के पास बनने वाले धोलेरा हवाईअड्डे का निर्माण एएआई कर रहा है।