पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय दूरदराज व दुर्गम क्षेत्रों में तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) की पहुंच बढ़ाएगा। इसलिए मंत्रालय की योजना वितरण को अधिक प्रोत्साहन देने और आवेदन प्रक्रिया को आसान बनाने की है। इन क्षेत्रों में मध्य हिमालय के क्षेत्रों, उत्तर-पूर्व और छत्तीसगढ़ व ओडिशा के जंगल हैं। सरकार किसी भी ऐसे स्थान को वर्गीकृत कर सकती है जहां दुर्गम और खास क्षेत्रों या दुर्गम क्षेत्रीय में ग्रामीण एलपीजी वितरण को स्थापित नहीं किया जा सकता है। इनमें पहाड़ी क्षेत्र, जंगल, आदिवासी के रिहायशी इलाकों, कम आबादी वाले स्थान, अशांत क्षेत्र, वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र भी शामिल हैं।
1 मई, 2023 तक दुर्गम क्षेत्रों में वितरकों की संख्या 2,012 थी जबकि ग्रामीण वितरकों की संख्या 11,744 थी। अधिकारियों के मुताबिक दुर्गम क्षेत्रों में वितरकों की संख्या बढ़ाए जाने की जरूरत है ताकि वे एलपीजी सिलिंडर वितरण नेवटर्क से जुड़ सकें। वैसे यह सरकार का प्रयास भी है कि देश में सक्रिय घरेलू एलपीजी कनेक्शनों की संख्या को बढ़ाया जाए।
प्रधानमंत्री कार्यालय का लक्ष्य है कि जनसंख्या के बड़े हिस्से को भरोसेमंद व सुरक्षित एलपीजी कनेक्शन मुहैया करवाया जाए। यह ऊर्जा खपत के क्षेत्र में सरकार की सार्वजनिक नीति के उद्देश्यों का प्रमुख आधार स्तंभ भी है। सक्रिय घरेलू एलपीजी कनेक्शनों की संख्या 1 मई, 2023 को 31.43 करोड़ थी। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के सत्ता में आने से पहले अप्रैल, 2014 को संख्या 14.52 करोड़ थी।
इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम की आनुषांगिक इकाइयों क्रमश इंडेन, भारत गैस और एचपी गैस एलपीजी के वितरक स्थापित करती हैं। इन तीनों तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) की कारोबारी गतिविधियों में नेटवर्क का विस्तार करना है जिससे पेट्रोलियम उत्पादों की पहुंच ज्यादा लोगों तक पहुंचती है।
इसलिए ओएमसी घरों तक एलपीजी मुहैया कराने के लिए अपने कारोबार की निरंतर प्रक्रिया के तहत एलपीजी के वितरकों को नियुक्त करती है। ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों में वितरकों को आवेदन के लिए वापिस नहीं किए जाने वाला आवेदन शुल्क अदा करना पड़ता था। यह शुल्क 8,000 रुपये (सामान्य श्रेणी), 4,000 रुपये (अन्य पिछड़ा वर्ग) और 2,500 रुपये (अनुसूचित जाति/जनजाति) है।
लेकिन मई 2022 में एलपीजी वितरण के पुनर्गठन विस्तृत दिशानिर्देशों के तहत सभी क्षेत्रों के लिए वितरकों की राशि बढ़ाकर 25,000 रुपये कर दी गई। अन्य अधिकारी ने कहा, ‘शिकायतें मिली हैं कि यह शुल्क बहुत ज्यादा है। इसे घटाया जा सकता है।’ यह प्रक्रिया जटिल है और इसलिए इसे कुछ कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘हम इस प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए प्रयास कर रहे हैं।’