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विदेश से पढ़ाई के बाद देश में डॉक्टर बनने का लंबा इंतजार

Last Updated- March 07, 2023 | 8:30 PM IST
NEET UG Paper Leak

चीन, मलेशिया और फिलिपींस के उच्च शिक्षण संस्थानों में दाखिला लेने वाले चिकित्सा पाठ्यक्रम से जुड़े स्नातक भारतीय छात्रों को अपने करियर में आगे क्या करना है, इस पर स्पष्टता के लिए लगभग दो साल से इंतजार करना पड़ रहा है। नियामकीय संस्था, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने पिछले साल यह अनिवार्य कर दिया था कि विदेश चिकित्सा स्नातक (एफएमजी) जिन्होंने महामारी के कारण अपने चौथे और पांचवें वर्ष की पढ़ाई ऑनलाइन पूरी की थी, उन्हें एमबीबीएस के बाद एक के बजाय दो साल की इंटर्नशिप करनी होगी।

एनएमसी के परिपत्र ने इसे पिछली तारीख से ही अनिवार्य कर दिया था। इसमें उन एफएमजी को भी शामिल किया गया जिन्होंने अपने अस्थायी और स्थायी पंजीकरण प्रमाण पत्र प्राप्त हासिल किए थे। इसकी वजह से उन्हें काफी हैरानी हुई। हालांकि ये आदेश 2015 के बैच पर स्पष्ट रूप से लागू होते हैं, लेकिन 2016 बैच के छात्र जो इंटर्नशिप के बाद 2021 में स्नातक कर लेते उनकी स्थिति भी अनिश्चित हो गई है।
यह मामला अदालत में गया और दिसंबर 2022 में उच्चतम न्यायालय ने केंद्र को एक समिति बनाने और इंटर्नशिप के मुद्दे को स्पष्ट करने में मदद करने का निर्देश दिया। जनवरी में केंद्र ने जवाब देने के लिए अदालत से और समय मांगा और उसे छह सप्ताह का और समय दिया गया।

इसके अलावा भी अन्य नियामक संबंधी बाधाएं हैं जिनकी वजह से छात्रों की उलझन बढ़ गई है। उदाहरण के तौर पर छात्रों को पंजीकरण दिशानिर्देशों और डिग्री हासिल करने की कट-ऑफ तारीखों के बारे में भी भ्रम है।

पंजीकरण से जुड़ी जटिलताएं

नवंबर 2021 में अधिसूचित एनएमसी के नियमन 4 (बी) के मुताबिक एफएमजी को उस देश की नियामक संस्था के साथ पंजीकृत होना चाहिए जहां उसने चिकित्सा की पढ़ाई की है। इसके अलावा यह पंजीकरण उस देश में मेडिकल प्रैक्टिस करने के लाइसेंस के बराबर होना चाहिए।

फिलिपींस में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले एक छात्र का कहना है कि यह इतना आसान नहीं होता है। चीन जैसे कुछ देशों में डिग्री सरकारी निकायों या शिक्षा मंत्रालयों के साथ पंजीकृत हैं, इसलिए यह एनएमसी के मानदंडों को पूरा करती हैं लेकिन मलेशिया और फिलिपींस जैसे अन्य देशों में ऐसा नहीं है।

छात्र का कहना है कि फिलिपींस लाइसेंस मेडिकल परीक्षा केवल उस देश के नागरिकों के लिए ही खुली है। इसी तरह, मलेशिया विदेशी छात्रों को लाइसेंस से जुड़ी परीक्षा में शामिल नहीं होने देता है और न ही यह एफएमजी को पंजीकरण देता है। एनएमसी ने अभी तक विदेश में शासी निकायों, विश्वविद्यालयों या संस्थानों की सूची नहीं दी है जो नियमन 4 (बी) को पूरा करते हैं। न ही इसने मलेशिया और फिलिपींस जैसे देशों के लिए विकल्प प्रदान किए हैं जहां पंजीकरण या स्थानीय लाइसेंस, भारतीय स्नातकों के लिए सुलभ नहीं है।

छात्र बताते हैं कि एक बड़ी दिक्कत यह है कि एनएमसी के परिपत्र में यूक्रेन में युद्ध और चीन में महामारी से संबंधित प्रतिबंधों से प्रभावित छात्रों के बारे में बात की गई है। हालांकि इसमें फिलिपींस और मलेशिया जैसे देशों के छात्रों की समस्याओं पर कुछ नहीं कहा गया है जबकि यहां भी महामारी के दौरान प्रतिबंध लगाए गए थे और पंजीकरण के लिए अलग-अलग नियम तय किए गए हैं। एनएमसी को बिज़नेस स्टैंडर्ड ने इस मुद्दे की जानकारी के लिए कुछ सवाल भेजे लेकिन उस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है।

समय-सीमा की दुविधा

एमबीबीएस की डिग्री के बाद, एफएमजी को विदेशी चिकित्सा स्नातक परीक्षा (एफएमजीई) और राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (एनबीई) द्वारा आयोजित स्क्रीनिंग परीक्षा पास करनी होती है। इसके बाद ही उन्हें प्रोविजनल मेडिकल रजिस्ट्रेशन दिया जाता है, जिसके बाद इंटर्नशिप की बारी आती है।

उच्चतम न्यायालय के 29 अप्रैल, 2022 के एक आदेश का हवाला देते हुए चिकित्सा नियामक ने कहा कि केवल वे एफएमजी जिन्होंने 30 जून, 2022 को या उससे पहले डिग्री पूरा करने का प्रमाण पत्र हासिल किया है, वे आगामी एफएमजीई में शामिल होने के पात्र हैं।
दिल्ली में मौजूद उच्च शिक्षा वित्तीय सहायता और सलाहकार स्टार्टअप ‘ज्ञानधन’ के सीईओ अंकित मेहरा कहते हैं, ‘महामारी की वजह से कई कामों में देरी हुई और कई छात्रों को 10 जुलाई के बाद प्रमाण पत्र मिले। अब उन्हें इस बात की चिंता है कि उन्हें परीक्षा में बैठने के लिए एक साल इंतजार करना पड़ेगा।’ छात्रों का यह भी कहना है कि उन्हें एनबीई से विरोधाभासी सलाह मिली है।

वुहान की च्यांगहान यूनिवर्सिटी के छात्र रेहान खान कहते हैं, ‘एनएमसी का कहना है कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के मुताबिक उनकी समय-सीमा (30 जून) ही आखिरी है। लेकिन एनबीई के अधिकारियों ने मुझसे कहा कि अगर मुझे 31 अक्टूबर से पहले मेरा अस्थायी प्रमाण पत्र मिल गया है तो मैं एफएमजीई में बैठ सकता हूं।’

बिज़नेस स्टैंडर्ड से बात करने वाले कुछ एफएमजी ने परीक्षा के लिए आवेदन करने का फैसला किया है, हालांकि वे निश्चित नहीं हैं कि उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाएगी या नहीं।

मानसिक तनाव के अलावा कई तरह के भ्रम और देरी की वजह से भी छात्रों और उनके परिवारों पर वित्तीय प्रभाव पड़ रहा है।
पेइचिंग के एक कॉलेज में दाखिला लेने वाली समीक्षा दास (बदला हुआ नाम) कहती हैं, ‘भुगतान का कोई प्रावधान नहीं होने के कारण इंटर्नशिप का साल बढ़ने से हमें आर्थिक नुकसान होता है और साथ ही नौकरी के बाजार में हमारी संभावनाएं भी बाधित होती हैं।’

वह बताती हैं कि जब तक वह और उनके साथ पढ़ने वाले छात्र इंटर्नशिप के अतिरिक्त वर्ष की अवधि पूरा करेंगे, उन्हें करियर के लिहाज से उन लोगों से पीछे रहना पड़ेगा जिन्होंने उनके बाद एमबीबीएस शुरू किया था। वह कहती हैं ‘मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे डॉक्टर बनने में 10 साल लगेंगे।’

First Published - March 7, 2023 | 8:17 PM IST

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