वैश्विक रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड ऐंड पुअर्स (S&P) ने बुधवार को कहा कि भारत के बैंकों के ऋण जमा अनुपात पर दबाव बढ़ सकता है। जमा में वृद्धि कम रहने के साथ ऋण के विस्तार को देखते हुए एजेंसी ने यह अनुमान लगाया है।
जमा में वृद्धि कम रहने और फंड के लिए प्रतिस्पर्धा के कारण ब्याज से शुद्ध मुनाफा वित्त वर्ष 2025 में घटकर 2.9 प्रतिशत पर आ सकता है, जो वित्त वर्ष 2024 में 3 प्रतिशत है। अगले कुछ साल में ऋण में वृद्धि नॉमिनल सकल घरेलू उत्पाद के अनुसार रहने की संभावना है। इसमें खुदरा ऋण, कॉर्पोरेट ऋण विस्तार से आगे निकल जाएगा।
एसऐंडपी ग्लोबल रेटिंग्स में विश्लेषक गीता चुघ ने कहा कि इसे देखते हुए जमा को लेकर चुनौतियां सामने आ सकती हैं और इससे ऋण जमा अनुपात कमजोर हो सकता है। कमोबेश बैंकों के फंड प्रोफाइल में तेजी बनी रह सकती है।
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक नवंबर के मध्य तक भारतीय बैंकों में जमा में पिछले साल की तुलना में 13.6 प्रतिशत और ऋण में 20.6 प्रतिशत वृद्धि हुई है। इसकी वजह एचडीएफसी बैंक के साथ एचडीएफसी का विलय है। बैंकिंग का सीडी अनुपात 17 नवंबर, 2023 के आंकड़ों के मुताबिक 77.03 प्रतिशत रहा है जो एक साल पर 74.70 प्रतिशत था।
चुघ ने कहा कि जमा के पुनर्मूल्यांकन में देरी, जमा के लिए बढ़ती प्रतिस्पर्धा और कम लागत वाले चालू खाते और बचत खाते (कासा) से ज्यादा ब्याज वाले सावधि जमा बढ़ने के कारण मुनाफे पर दबाव बढ़ेगा। वित्त वर्ष 2024 में ब्याज से शुद्ध लाभ (एनआईएम) घटकर 3 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2025 में यह 2.9 प्रतिशत रह सकता है।
लघु और मझोले उद्यम और कम आय वर्ग के परिवारों पर ज्यादा ब्याज दर और महंगाई का असर पड़ता है, ऐसे में भारत में ब्याज दर बढ़ने की गुंजाइश कम है। इससे बैंकिंग उद्योग का जोखिम सीमित रह सकता है। असुरक्षित व्यक्तिगत ऋण तेजी से बढ़ा है और इससे फंसा कर्ज बढ़ सकता है।
2024 में संपत्ति की गुणवत्ता सकारात्मक क्षेत्र में रहने का अनुमान है। साथ ही बैंकिंग क्षेत्र में कमजोर ऋण का अनुपात 31 मार्च 2025 तक घटकर 3 से 3.5 प्रतिशत रहने की संभावना है।