तेलंगाना के मुख्यमंत्री और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के संस्थापक कलवकुंतला चंद्रशेखर राव (केसीआर) की पुत्री और विधान परिषद सदस्य कलवकुंतला कविता अपनी पार्टी का विस्तार राष्ट्रीय स्तर पर करने को लेकर काम कर रही हैं। नितिन कुमार के साथ बातचीत में कविता ने बीआरएस की विस्तार योजनाओं और भारत के विकास के लिए तेलंगाना मॉडल के बारे में बात की। बातचीत के संपादित अंश:
एक जांच एजेंसी ने आपसे कथित शराब घोटाले पर सवाल किया है, इस पर आप क्या कहना चाहेंगी?
मैं नहीं, मेरे नेता केसीआर निशाने पर हैं। वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नाकामियों को उजागर कर रहे हैं। आज प्रवर्तन निदेशालय या केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज किए गए 95 प्रतिशत मामले विपक्षी दलों के खिलाफ हैं। हैरानी की बात यह है कि दोष साबित करने की दर 0.2 प्रतिशत भी नहीं है।
बीआरएस की राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार योजना तेलंगाना मॉडल पर आधारित है तो यह मॉडल आखिर क्या है?
तेलंगाना मॉडल एक ऐसा मॉडल है जिसके तहत नागरिकों का सशक्तीकरण, प्रशासन का एकमात्र लक्ष्य है। इसमें यह सुनिश्चित किया जाता है कि सामाजिक सुरक्षा और शिक्षा से लेकर रोजगार तक हर किसी की जरूरतों को पूरा किया जाए। यह मॉडल अपने 44 लाख लोगों के लिए सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करता है। तेलंगाना महिलाओं और विधवाओं सहित अपने लोगों के लिए पेंशन पर 42,000 करोड़ रुपये खर्च करता है। हम 26,000 स्कूलों की मरम्मत के लिए 7,000 करोड़ रुपये खर्च कर रहे हैं। सरकार, 1,000 से अधिक मॉडल स्कूलों में, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यकों को विश्व स्तरीय शिक्षा मुहैया कराती है। शिक्षित और कुशल श्रमिकों से जुड़ी हमारी औद्योगिक नीतियों ने हमें आठ वर्षों में 3.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश हासिल करने में मदद की है। राज्य में लगभग 20,000 औद्योगिक इकाइयां काम कर रही हैं, जिनमें 30 लाख लोग कार्यरत हैं। कौशल विकास के माध्यम से हमने ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पैसा लगाया है। रैयतु बंधु कल्याण कार्यक्रम के तहत कम से कम 66 लाख किसानों को 65,000 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
आपका यह मॉडल अरविंद केजरीवाल के दिल्ली मॉडल, मुतुवेल करुणानिधि स्टालिन के तमिलनाडु मॉडल या ममता बनर्जी के बंगाल मॉडल से कैसे अलग है?
हमने दूसरों के नुकसान के लिए एक क्षेत्र पर पूरे जुनून के साथ ध्यान केंद्रित नहीं किया है। हम व्यापक विकास पर जोर देते हैं। किसानों के लिए इनपुट सब्सिडी के अलावा हमने 80,000 करोड़ रुपये की कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना के जरिये तेलंगाना में काफी राहत दी है। राज्य सिंचाई के लिए मुफ्त पानी और 24 घंटे बिजली भी देता है। तेलंगाना में, किसान अपनी फसल बेचने के लिए कहीं नहीं जाते हैं और राज्य इसे खेत से ही खरीद लेता है। हमारा नजरिया पूंजी निर्माण करने और इसे गरीबों के बीच वितरित करने से जुड़ा है। करीब 62,000 करोड़ रुपये के बजट से लेकर अब हम 2.92 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गए हैं।
सामाजिक सुरक्षा पर आम लोगों के पैसे खर्च करने वाले राज्यों के जोखिम को लेकर अर्थशास्त्री चिंता जाहिर करते हैं, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लोगों को ‘रेवड़ी संस्कृति’ के खिलाफ आगाह किया है…
प्रधानमंत्री इन योजनाओं को ‘रेवड़ी’ कहते हुए खारिज कर गरीबों का अपमान कर रहे हैं। ये ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए क्रांतिकारी योजनाएं हैं। तेलंगाना के निर्माण के केवल आठ वर्षों में हम बिजली और पानी दोनों के लिहाज से अधिशेष वाले राज्य में शामिल हैं। आप अपने लोगों को सामाजिक सुरक्षा देते हैं। मोदी भले ही इन सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को ‘रेवड़ी’ कहते हों लेकिन जब भी चुनाव होता है, वह सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) की समय-सीमा बढ़ा देते हैं।
किन-किन राज्यों में पार्टी के विस्तार की योजना है?
बीआरएस का एजेंडा राष्ट्रीय स्तर से जुड़ा है। हालांकि, जहां तक पार्टी की विस्तार योजनाओं की बात आती है तब हमारा तात्कालिक लक्ष्य, तेलंगाना की सीमा से लगे राज्यों में प्रवेश करना है।
क्या आप अन्य राज्य या राष्ट्रीय स्तर के राजनीतिक संगठनों के साथ साझेदारी करेंगी? क्या बीआरएस भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ मुख्य विपक्षी दल बनने की दिशा में काम कर रहा है?
हमारे पास समान लक्ष्यों वाले कई दोस्त हैं। हम समान विचारधारा वाले दलों का गठबंधन बनाएंगे। हमारी साझा दुश्मन भाजपा है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि तेलंगाना सरकार ने राज्य को ऐसे ऋण संकट में धकेल दिया कि हर नवजात बच्चा 1.25 लाख रुपये के कर्ज में पैदा हुआ है…
सीतारमण की सरकार और उनके मंत्रिमंडल ने नौ वर्षों में इस देश के ऋण को 50 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 155 लाख करोड़ रुपये कर दिया है। तेलंगाना में हम पूंजीगत व्यय के रूप में ऋण का निवेश कर रहे हैं। हम सचिवालय, स्कूल और अस्पतालों का निर्माण करके भविष्य के लिए परिसंपत्ति तैयार कर रहे हैं। ये ऐसी परियोजनाएं हैं जिससे प्रशासन लोगों के और करीब हो जाएगा। केंद्र सरकार अपने कॉरपोरेट जगत के मित्रों के हजारों करोड़ रुपये माफ कर और उर्वरक आयातकों को सब्सिडी देकर कर्ज का दायरा बढ़ा रही है। पूंजी निवेश आखिर कहां है?
नई दिल्ली में हाल में हुए विरोध प्रदर्शन के बाद आप महिला आरक्षण विधेयक के मुद्दे को किस तरह उठाने की योजना बना रही हैं?
महिला आरक्षण की अवधारणा को पेश किए हुए करीब 26 साल हो चुके हैं। हमने महिला सशक्तीकरण के लिए काम करने वाले कई गैर-सरकारी संगठनों को आमंत्रित किया है। लगभग 15-17 राजनीतिक दलों ने अपनी भागीदारी की पुष्टि भी की है।