वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने केंद्र सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (पीएसयू) को चीन के सोलर मॉड्यूल के आयात की अनुमति दे दी है, जिससे इसके आयात की राह खुल गई है। इस फैसले का सबसे ज्यादा लाभ सरकारी कंपनी और देश की सबसे बड़ी बिजली उत्पादक एनटीपीसी लिमिटेड को होगा।
व्यय विभाग के सार्वजनिक खरीद विभाग की ओर से 25 मई को जारी नोटिस में कहा गया है कि सीपीएसई द्वारा सोलर फोटोवोल्टाइक मॉड्यूल की खरीद को 2017 के आदेश के प्रावधानों से छूट दी गई है, जिसमें भारत में पंजीकृत न होने वाले सीमावर्ती देशों से कंपनियों को आयात करने से रोका गया है।
2022 में कुछ सौर उपकरणों के आयात की अनुमति दी गई थी, लेकिन सौर आयात पर लगी शुल्क बाधाओं के बाद ऐसा पहली बार हुआ है, जब तैयार सोलर मॉड्यूल का आयात अब चीन से किया जा सकेगा। इस फैसले की सबसे बड़ी लाभार्थी एनटीपीसी ने कुल 1.45 गीगावॉट क्षमता के सोलर मॉड्यूल खरीदने के लिए वैश्विक बोली मांगी है। यह टेंडर कंपनी की भाडला (राजस्थान), भुज (गुजरात) और शाजापुर (मध्य प्रदेश) परियोजना के लिए है।
कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि इस छूट से बड़ी राहत मिली है क्योंकि कंपनी थोक में सोलर मॉड्यूल खरीदने पर विचार कर रही थी और घरेलू उत्पादक मांग पूरी करने में सक्षम नहीं हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘थोक ऑर्डर के बावजूद पेशकश में आई कीमत संतोषजनक नहीं है और हमारी पहले की बोलियों में ज्यादा विनिर्माता सामने नहीं आए हैं।’
कंपनी को उम्मीद है कि गुजरात सहित उसकी कुछ प्रमुख सौर बिजली परियोजनाएं जल्द शुरू हो सकेंगी। गुजरात परियोजना के लिए रिकॉर्ड 2.44 रुपये प्रति यूनिट की निचले स्तर की बोली मिली थी। अधिकारियों ने कहा कि सोलर मॉड्यूल की कीमत वैश्विक बाजार में कम हुई हैं, जो 25 से 28 सेंट प्रति किलोवाट घंटे पर पहुंच गई थीं।
हालांकि आयात पर बुनियादी सीमा शुल्क (बीसीडी) लगा रहेगा। केंद्र सरकार ने 22 अप्रैल से आयातित सोलर सेल पर 25 प्रतिशत और आयातित मॉड्यूल पर 40 प्रतिशत बुनियादी सीमा शुल्क लगा रखा है, जिससे घरेलू सोलर मैन्युफैक्चरिंग को लाभ मिल सके।
भारत में करीब 85 प्रतिशत सौर बिजली क्षमता आयातित सेल और मॉड्यूल से तैयार की गई है, जिसमें ज्यादातर आयात चीन से होता है। बीसीडी लगाए जाने के बाद सौर बिजली परियोजनाओं के डेवलपर सोलर फोटोवोल्टाइक सेल की कमी का सामना कर रहे हैं और इसकी कीमत में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। सूत्रों ने कहा कि सरकारी कंपनी एनटीपीसी सहित प्रमुख परियोजना डेवलपरों को घरेलू आपूर्तिकर्ताओं से पर्याप्त आपूर्ति नहीं मिल रही है।